सुप्रीम कोर्ट ने रेप के एक मामले में शुक्रवार को गुरमीत राम रहीम की याचिका खारिज कर दी। डेरा प्रमुख ने 14 साल पुराने केस में विक्टिम की हैंडराइटिंग के और नमूनों की जांच की मांग की थी। कोर्ट ने डेरा प्रमुख से पूछा कि- 'क्या किसी महिला को सिर्फ इसलिए अवलेबल मान लिया जाए क्योंकि उसने लिखा था- बाबाजी, आई लव
यू?'। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस सी नागप्पन की बेंच ने कहा- विक्टिम के तथाकथित लेटर की भाषा से उसकी रजामंदी का पता नहीं चलता। बचावपक्ष के वकील जयंत भूषण ने कहा- यह लेटर सबूत का एक अहम हिस्सा है और इससे पता चलता कि डेरा प्रमुख पर लगा आरोप सही नहीं है। तथाकथित घटना 1999 में सामने आई थी जबकि लेटर 2001 में लिखा गया था और एफआईआर 2002 में दर्ज कराई गई थी। हैंडराइटिंग के और नमूने मिलने से बचाव करने में मदद होगी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बचाव पक्ष की सारी दलीलें खारिज कर दीं। इससे पहले, ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट में भी डेरा प्रमुख की यह अपील खारिज हो चुकी है।
14 साल पुराना है मामला: सिरसा में डेरा के आश्रम की एक महिला ने गुरमीत राम रहीम पर कथित रूप से रेप का आरोप लगाया था। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने लेटर का संज्ञान लेते हुए सितंबर 2002 में मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई ने जांच में आरोपों को सही पाया और राम रहीम के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में 2007 को चार्जशीट दाखिल की। अब पंचकुला की सीबीआई कोर्ट जल्द फैसला सुना सकती है।
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साभार: भास्कर समाचार
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