ट्यूनीशिया की संस्था नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को इस वर्ष के शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। उसे यह पुरस्कार ट्यूनीशिया में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए उसके प्रयासों के वास्ते प्रदान करने का फैसला लिया गया। 10 दिसंबर को ओस्लो में आयोजित समारोह में नेशनल डायलॉग क्वार्टेट को यह सम्मान दिया
जाएगा। नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने शुक्रवार को यह घोषणा की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
समिति के प्रमुख कैसी कुलमैन फाइव के अनुसार, ‘इस संस्था ने ट्यूनीशिया में एक ऐसे समय वैकल्पिक और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की जब 2011 की क्रांति के बाद देश गृह युद्ध की कगार पर था।’ ध्यान रहे कि ट्यूनीशिया में क्रांति के बाद अरब जगत के देशों में सत्ता विरोधी आंदोलन शुरू हुए और कई जगह तो इस कारण सरकारें भी बदलीं। समिति का कहना है, ‘डायलॉॅग क्वार्टेट को इस वर्ष का शांति पुरस्कार देने से ट्यूनीशिया में लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होने की उम्मीद है। साथ ही यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका समेत पूरे विश्व में शांति एवं लोकतंत्र को बढ़ावा देने के काम में जुटे हुए हैं। 2013 में स्थापित नेशनल डायलॉग क्वार्टेट में ट्यनीशिया में चार अग्रणी मानवाधिकार एवं श्रम संगठन शामिल हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसमें ट्यूनीशियन जनरल लेबर यूनियन, द ट्यूनीशियन कांफेडेरेशन ऑफ इंडस्ट्री, ट्रेड एंड हैंडीक्राफ्ट, द ट्यूनीशियन ह्यूमन राइट्स लीग और ट्यूनीशियन आर्डर ऑफ लायर्स प्रमुख हैं। ये संगठन ट्यूनीशियाई समाज के सभी वर्गो खासकर कामगार और बुद्धिजीवी तबके का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्होंने नेशनल डायलॉग क्वार्टेट के तहत ट्यूनीशिया के सभी वर्गो को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति एकजुट किया। पुरस्कार समिति ने माना है कि इस वर्ष का पुरस्कार दुनिया भर में लोकतांत्रिक शक्तियों को प्रोत्साहित करने का काम करेगा।
जाएगा। नोबेल शांति पुरस्कार समिति ने शुक्रवार को यह घोषणा की। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
समिति के प्रमुख कैसी कुलमैन फाइव के अनुसार, ‘इस संस्था ने ट्यूनीशिया में एक ऐसे समय वैकल्पिक और शांतिपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया शुरू की जब 2011 की क्रांति के बाद देश गृह युद्ध की कगार पर था।’ ध्यान रहे कि ट्यूनीशिया में क्रांति के बाद अरब जगत के देशों में सत्ता विरोधी आंदोलन शुरू हुए और कई जगह तो इस कारण सरकारें भी बदलीं। समिति का कहना है, ‘डायलॉॅग क्वार्टेट को इस वर्ष का शांति पुरस्कार देने से ट्यूनीशिया में लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होने की उम्मीद है। साथ ही यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा, जो मध्य एशिया और उत्तरी अफ्रीका समेत पूरे विश्व में शांति एवं लोकतंत्र को बढ़ावा देने के काम में जुटे हुए हैं। 2013 में स्थापित नेशनल डायलॉग क्वार्टेट में ट्यनीशिया में चार अग्रणी मानवाधिकार एवं श्रम संगठन शामिल हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसमें ट्यूनीशियन जनरल लेबर यूनियन, द ट्यूनीशियन कांफेडेरेशन ऑफ इंडस्ट्री, ट्रेड एंड हैंडीक्राफ्ट, द ट्यूनीशियन ह्यूमन राइट्स लीग और ट्यूनीशियन आर्डर ऑफ लायर्स प्रमुख हैं। ये संगठन ट्यूनीशियाई समाज के सभी वर्गो खासकर कामगार और बुद्धिजीवी तबके का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन्होंने नेशनल डायलॉग क्वार्टेट के तहत ट्यूनीशिया के सभी वर्गो को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति एकजुट किया। पुरस्कार समिति ने माना है कि इस वर्ष का पुरस्कार दुनिया भर में लोकतांत्रिक शक्तियों को प्रोत्साहित करने का काम करेगा।
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साभार: जागरण समाचार
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