राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पेयजल में
फ्लोरोसिस की समस्या को लेकर हरियाणा 27 राज्यों के मुख्य सचिवों को नोटिस
जारी किया है। आयोग ने राज्य सरकारों से पूछा है कि इस समस्या से निपटने के
लिए उन्होंने क्या कदम उठाए हैं। साथ ही इन राज्य सरकारों को छह हफ्ते के
अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा
गया है। मानवाधिकार
आयोग ने यह नोटिस पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के
बाद जारी किया है। गत 20 जनवरी को मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में
फ्लोरोसिस की समस्या से आयोग को अवगत कराया था। मंत्रालय ने इस समस्या से
निजात पाने के लिए अल्प अवधि, मध्यम अवधि और दीर्घ अवधि समाधान के बारे में
बताया। मंत्रालय ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा,
उत्तराखंड, राजस्थान, बिहार आदि राज्यों में सैकड़ों जगहों पर फ्लोरोसिस की
समस्या है। साथ ही यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल योजना के
तहत हर ग्रामीण तक पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी मुहैया कराया जाना है।
योजना के तहत ग्रामीणों को अन्य घरेलू कामों के लिए भी पानी की समुचित
व्यवस्था करना है। स्वच्छ पेयजल मुहैया कराना केंद्र सरकार के लिए चुनौती
है। इसके तहत विभिन्न राज्यों में पीने के पानी में फ्लोराइड और आर्सेनिक
की समस्या पर भी गौर किया जाना है। इसके अलावा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान
परिषद् ने भी आयोग को बताया कि फ्लोरोसिस को लेकर उनके द्वारा क्या प्रयास
किए जा रहे हैं। मालूम हो कि देश के 19
राज्यों के करीब 14 हजार इलाकों में पेयजल में तय सीमा से अधिक फ्लोराइड की
मात्रा पाए जाने से संबंधित मीडिया रिपोर्ट का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
ने स्वत: संज्ञान लिया है। पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता से स्केलटन
फ्लोरोसिस का खतरा है। साथ ही इससे दांत और हड्डियों से संबंधित परेशानी हो
सकती है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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