Sunday, October 4, 2015

आंगनबाड़ी केंद्र भी देंगे बच्चों को सर्टिफिकेट

हरियाणा के आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले छोटे बच्चों को सर्टिफिकेट देने की तैयारी है। स्कूलों की तर्ज पर मिलने वाले इन सर्टिफिकेट में बच्चों के नाम और जन्मतिथि समेत पूरी जानकारी होगी। इसके आधार पर वे सरकारी व निजी स्कूलों में आसानी से दाखिले ले सकेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से इस योजना पर काम किया जा रहा है। प्रदेश में 26 हजार आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 51 हजार कार्यकर्ता और
सहायक काम करती हैं। एक सुपरवाइजर के अधीन 25 से 30 आंगनबाड़ी केंद्र आती हैं। एक केंद्र में एक वर्कर और एक सहायक की ड्यूटी रहती है, जो सुबह पौने नौ बजे से शाम पौने तीन बजे तक काम करती हैं। आंगनबाड़ी वर्कर और उनकी सहायक के लिए छह काम निर्धारित हैं, लेकिन उनसे करीब एक दर्जन काम लिए जाते हैं, जिनके आदेश उन्हें मौखिक मिलते हैं। आंगनबाड़ी वर्कर को 7500 रुपये और सहायक को 3500 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है, जिसमें बढ़ोतरी की मांग लंबे समय से चल रही है। आंगनबाड़ी में तीन से छह साल के बच्चों के लिए अनौपचारिक शिक्षा दिए जाने का प्रावधान है। प्रदेश सरकार चाह रही कि आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने आने वाले बच्चों को रोके रखने और उनके कीमती साल बर्बाद नहीं होने देने के उद्देश्य से सर्टिफिकेट दिए जा सकते हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्री कविता ने विभागीय अधिकारियों को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ इस परियोजना पर काम करने को कहा है। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने हाल ही में सोनीपत जिले के गांव हसनपुर में देश का पहला आधुनिक नंदघर शुरू किया है। निजी कंपनी वेदांता के सहयोग से यह परियोजना शुरू की गई। मंत्री ने अधिकारियों से ऐसे स्थान चिह्नित करने के भी निर्देश दिए हैं, जहां नंदघर जैसी आधुनिक आंगनबाड़ी खुल सकती हैं।
काम का अतिरिक्त बोझ तो कम किया जाए: प्रदेश सरकार यदि बच्चों के भविष्य को लेकर सोच रही है तो यह अच्छी बात है, लेकिन आंगनबाड़ी वर्कर और सहायक से लिए जाने वाले गैर जरूरी कामों पर भी अंकुश लगना चाहिए। शौचालय सर्वे, इलेक्शन ड्यूटी, आधार कार्ड बनवाने में सहयोग और इनवर्टर का इंतजाम जैसे कई काम हैं, जो आंगनबाड़ी वर्कर व सहायक की ड्यूटी में नहीं आते। पहले प्रावधान था कि स्कूलों में 6 साल से कम आयु के बच्चे का नाम नहीं लिखा जाता था, पर अब ऐसा नहीं है। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों की संख्या प्रभावित हो रही है। सरकार को मानदेय बढ़ोतरी की दिशा में भी सोचना चाहिए। - सविता मलिक, अध्यक्ष, आइसीडीएस सुपरवाइजर्स एसोसएिशन हरियाणा
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साभारजागरण समाचार 

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