Wednesday, May 13, 2015

अस्थाई कर्मचारियों को हटाने न हटाने पर हो रही सियासत

पिछली हुड्डा सरकार में भर्ती हजारों अस्थाई कर्मचारी मनोहर सरकार के जी का जंजाल बन गए हैं। नियमित होने की आस पाले इन कर्मचारियों ने जहां सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है, वहीं अदालती आदेश में बंधी सरकार उन्हें हटाने का खाका तैयार करने में जुटी है। राज्य सरकार को लग रहा है कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन और सदस्यों की वजह से ऐसे हालात पैदा हुए हैं। Post published at www.nareshjangra.blogspot.com लिहाजा उनके विरुद्ध जांच की संभावनाएं तलाश की जा रही हैं। मनोहर सरकार दो चरण में करीब 40 हजार
कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया रद कर चुकी है। इनमें 10 हजार पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। करीब 15 हजार अतिथि अध्यापक नियमित करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, जबकि चार हजार अतिथि अध्यापकों को हटाने के आदेश हो चुके हैं। राज्य सरकार 2622 लैब सहायकों का अनुबंध खत्म कर चुकी और करीब तीन हजार कंप्यूटर शिक्षकों को हटाने की तैयारी में है। जून में कंप्यूटर शिक्षकों की नई भर्ती होनी है। अतिथि अध्यापकों, लैब सहायकों और कंप्यूटर शिक्षकों के आंदोलन से मनोहर सरकार के खिलाफ माहौल बन रहा है। राज्य सरकार हालांकि इन्हें हटाने की पक्षधर नहीं है, लेकिन पात्र अध्यापकों के आंदोलन और नियमित भर्ती की हिमायत करने वाली मनोहर सरकार अदालती आदेशों के आगे मजबूर है। राज्य सरकार ने महाधिवक्ता से कर्मचारियों के इस संवेदनशील मसले पर सलाह मांगी है। कानूनविदों से पूछा गया है कि क्या हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन और सदस्यों की भूमिका की जांच कराई जा सकती है। सूत्रों के अनुसार कानूनविदों ने कहा है कि उनके विरुद्ध जांच का प्रावधान संभव है। यदि राज्य सरकार चाहे तो भर्ती विशेष को आधार बनाकर उनकी विजिलेंस जांच करा सकती है।
नियमित करने की पॉलिसी में बदलाव नहीं: कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने की पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। महाधिवक्ता ने राज्य सरकार को पुरानी पॉलिसी से फिलहाल छेड़छाड़ नहीं करने की सलाह दी है। इस पॉलिसी के तहत हजारों कर्मचारी पक्के हो चुके हैं। यदि पॉलिसी में बदलाव हुआ तो कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ना स्वाभाविक है। हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर कहते हैं कि कर्मचारियों के आंदोलन बैकडोर एंट्री की वजह से हुए हैं। तदर्थ कर्मचारियों की नियुक्तियां ठीक ढंग से नहीं हुई थी। इसलिए कोर्ट केस चल रहे हैं। कोर्ट का जो भी फैसला आएगा, हम उसके मुताबिक निर्णय लेंगे अन्यथा इन आंदोलन का कोई अर्थ नहीं है। हम नियमित भर्ती के और रोजगार देने के पक्ष में हैं। 
उधर पूर्व मुख्यमंत्री हुडा का कहना है कि हमने अतिथि अध्यापक 2005 में तब लगाए थे, जब बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे। हम उन्हें नियमित करने की नीति बना रहे थे। हमारी सरकार चली गई। तब भाजपा नेता अतिथि अध्यापकों, लैब सहायकों व कंप्यूटर शिक्षकों के बीच जाकर उन्हें नियमित करने के वादे करते थे। फोटो खिंचवाते थे। अब उनकी सरकार आ गई। अपना वादा पूरा करें। सरकार फिजिकल टेस्ट पास कर चुके 10 हजार पुलिस कर्मियों को भी ज्वाइनिंग दे। कांग्रेस इन सभी के साथ है।
इसी बीच हरियाणा जनहित कांग्रेस के अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई कह रहे हैं कि भाजपा सरकार की तानाशाही के चलते अध्यापकों को अपना रोजगार बचाने के लिए भीषण गर्मी में सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। भाजपा ने चुनावों में वादा किया था कि सत्ता मिलते ही अतिथि अध्यापकों को नियमित कर दिया जाएगा, परंतु वह वादे से पीछे हट रही है। रोजगार देना तो दूर भाजपा लोगों से उनका रोजगार छीनने पर उतारू है। पहले लैब सहायक और अब गेस्ट टीचर। हुड्डा सरकार के कारण ही आज गेस्ट टीचर्स को यह दिन देखने पड़ रहे हैं।
साभार: जागरण समाचार
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