Saturday, May 16, 2015

योजनाबद्ध तरीके से खाई गई 80 लाख रुपए की छात्रवृत्ति: जाँच अंतिम चरण में, फंसेंगी बड़ी मछलियाँ

एक बैंक कर्मचारी की आत्महत्या और 100 से अधिक एफआइआर। गत वर्ष भिवानी के बैंक की इस सनसनीखेज वारदात के बाद अब जांच से घोटाले की परतें उघड़ने लगी हैं। 190 फर्जी सैलरी एकाउंट खुलवाकर छात्रवृत्ति का 80 लाख का पैसा हजम कर लिया गया। अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग के छात्रों के प्रोत्साहन
के लिए बनाई गई डॉ. अंबेडकर मेधावी छात्र-छात्र योजना के तहत जारी किए गए 80 लाख रुपये की राशि को सुनियोजित तरीके से हजम कर लिया गया। बैंक एकाउंट फर्जी, स्वास्थ्य विभाग व बिजली निगम की मुहर भी फर्जी और लेखाधारक भी फर्जी। पता चला है कि यह सारा पैसा हिसार से जिला कल्याण अधिकारी (डीडब्ल्यूओ) ने इन फर्जी खातों से स्थानांतरित किया था। अब जांच पूरी होने वाली है और कई बड़े अधिकारी व सफेदपोशों पर शिकंजा कसता जा रहा है। हुआ यूं कि अगस्त 2014 में एक बैंक कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली। उसके बाद कुछ घोटाले की चर्चा हुई और बैंक ने भी उस पर 100 से अधिक एफआइआर दर्ज करवा दी। जांच में खुलासा हुआ है कि बैंक में छात्रवृत्ति जमा करवाने के लिए फर्जी 190 सैलरी एकाउंट खोले गए थे। बिजली निगम व स्वास्थ्य विभाग की फर्जी मोहर लगा दी गई। इन खातों में करीब 80 लाख रुपये जमा भी करा दिए गए। हंगामा तब खड़ा हुआ, जब यह राशि निकाल ली गई और बैंक के अधिकारियों ने संबंधित क्लर्क पर रिकवरी का दबाव बनाना शुरू कर दिया। सूत्रों की माने तो क्लर्क ने दबाव में आकर बैंक में ही आत्महत्या कर ली और हंगामा खड़ा हो गया। आनन-फानन में बैंक प्रबंधन ने घोटाले की जांच के लिए सिविल लाइन पुलिस थाने में करीब 100 एफआइआर दर्ज करवा दी। एक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया और दो को निलंबित। उसके बाद ऐसा लगा कि फाइलों पर धूल जम गई। पर सरकार बदलते ही जांच फिर से शुरू हो गई। अगस्त 2014 में भिवानी के एक निजी बैंक में हुए घोटाले के बाद जांच की परतें उघड़ने लगी तो सब पूरे गोलमाल से एक-एक कर पर्दा उठ गया। सूत्र बताते हैं कि यह पैसा भिवानी जिले की ओर से नहीं, बल्कि हिसार जिले की ओर से जमा करवाया गया था। बहरहाल मामले की जांच लगभग पूरी होने को है और कई बड़ी मछलियां फंसने जा रही हैं।
जांच अंतिम चरण में: जांच अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच अंतिम चरण में है। इस मामले में कई बड़ी मछलियां फंसने जा रही हैं। कई बड़े अधिकारी लपेटे में आएंगे। हालांकि कुछ लोग तथ्यों को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन वे ऐसे लोगों पर नजर रख रहे हैं और यदि उन्होंने ऐसा किया तो सबूत मिटाने का एक और मामला दर्ज कर लिया जाएगा। 
साभार: जागरण समाचार
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