Monday, January 5, 2015

ये खर्चे हैं फायदेमंद: बचाते हैं आपका आयकर

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आयकर में बचत की बात आते ही दिमाग में बचत से जुड़े विकल्‍प आने लगते हैं। फिर, इस बात की भी चिंता होती है कि चुना गया विकल्‍प कितना रिटर्न दे सकता है। ज्‍यादातर, करदाता इस बात पर पहले ध्‍यान नहीं देते कि उनके द्वारा किया गया खर्च भी आयकर बचाने में भी उतनी ही महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए, आज कुछ ऐसे ही खर्चों की बात करते हैं: 


  1. हेल्‍थ इंश्‍योरेंस का प्रीमियम: अगर आप सचमुच धनी होना चाहते हैं तो दिन प्रतिदिन बढ़ते अस्‍पतालों के अप्रत्‍याशित खर्च से बचने के लिए हेल्‍थ इंश्‍योरेंस अवश्‍य खरीदें। इसके प्रीमियम के तौर पर हुआ खर्च न सिर्फ आपको मेडिकल इमरजेंसी के दौरान अस्‍पताल के खर्च से बचाता है बल्कि कर बचत में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। आप स्‍वयं या अपने परिवार के हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के सालाना प्रीमियम भुगतान पर 15,000 रुपये तक का कर-लाभ प्राप्‍त कर सकते हैं। आर्थिक रूप से निर्भर माता-पिता के लिए मेडिक्लेम लेकर आप आयकर में सालाना 20,000 रुपये की अ‍तिरिक्त छूट पा सकते हैं। अगर आप वरिष्ठ नागरिकों की श्रेणी में आते हैं तो मेडिक्लेम के जरिये 20,000 रुपये तक की कटौती का लाभ पा सकते हैं। हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के प्रीमियम भुगतान पर यह छूट आयकर अधिनियम की धारा 80डी के तहत मिलती है। 
  2. जीवन बीमा का प्रीमियम: मृत्‍यु किसी से कह कर नहीं आती। इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में कब क्‍या हो जाए इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता। परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए लोग जीवन बीमा लेते हैं। आप अपनी जरूरत के अनुसार, चाहे टर्म इंश्‍योरेंस लें या एंडोमेंट या यूलिप या मनी बैक पॉलिसी, इनके प्रीमियम के भुगतान पर आपको आयकर का लाभ धारा 80सी के तहत मिलता है जिसकी सीमा अब 1.5 लाख रुपये कर दी गई है। विशेषज्ञों की मानें तो आपका जीवन बीमा कवर सालाना आय का 8-10 गुना या सालाना खर्च का 12-15 गुना होना चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि अगर आपकी जीवन बीमा पॉलिसी का सम एश्‍योर्ड सालाना प्रीमियम के 10 गुना से कम है तो आपको आयकर का लाभ नहीं मिल पाएगा। 
  3. एजुकेशन लोन के ब्‍याज का भुगतान: बच्‍चों की उच्‍च शिक्षा का सपना भला कौन मां-बाप पूरा नहीं कर चाहता। पर ज्‍यादातर मामलों में उच्‍च शिक्षा की बढ़ती लागत बाधा बनती है। एजुकेशन लोन ऐसे ही समय में मददगार साबित होता है। देश या विदेश में पढ़ाई के लिए बैंक 4-30 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन उपलब्‍ध करवाते हैं जिसके पुनर्भुगतान की अवधि 7-15 साल की होती है। धारा 80 ई के तहत आप एजुकेशन लोन पर दिए जाने वाले पूरे ब्याज पर छूट पा सकते हैं। अगर बच्चे की पढ़ाई के लिए अभिभावक या फिर मां-बाप लोन लेते हैं तो वे भी इस कटौती के हकदार होंगे। इसके लिए जरूरी है कि एजुकेशन लोन किसी मान्यता प्राप्त आर्थिक संस्थान या चैरिटेबल इंस्टिट्यूट से लिया जाए। वोकेशनल कोर्सेस समेत किसी भी किस्म की पढ़ाई के लिए एजुकेशन लोन बारहवीं उत्तीर्ण करने के बाद लिया जा सकता है। 
  4. बच्‍चों की ट़यूशन फीस: दिल्‍ली स्थित जे. एस. फाइनेंशिल एडवाइजर्स के सर्टिफायड फाइनेंशियल प्‍लानर जितेंद्र सोलंकी ने बताया कि दो बच्‍चों की सालाना 24,000 रुपये तक की ट्यूशन फीस पर आयकर का लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है। प्रत्‍येक बच्‍चे के लिए इसकी अधिकतम सीमा 12,000 रुपये है और इसका लाभ अधिकतम दो बच्‍चों की पढ़ाई के लिए दिए गए ट्यूशन फीस पर ही मिलता है। 
  5. होम लोन का पुनर्भुगतान: होम लोन के पुनर्भुगतान में दो तत्‍व होते हैं- पहला मूलधन का भुगतान और दूसरा ब्‍याज का भुगतान। मूलधन का भुगतान आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत आता है जिसकी अधिकतम सीमा 1.5 लाख रुपये है। दूसरी तरफ, ब्‍याज के भुगतान पर धारा 24 के तहत छूट मिलती है। जिस घर में आप रहते हैं उसके मामले में इसकी अधिकतम सीमा 2 लाख रुपये है। हालांकि, अगर आप उस घर के होम लोन के ब्‍याज का भुगतान कर रहे हैं जिसमें आप नहीं रहते हैं तो छूट प्राप्‍त करने की कोई सीमा नहीं है। इस प्रकार आप होम लोन के पुनर्भुगतान पर अधिकतम 3.5 लाख रुपये तक का लाभ आयकर में पा सकते हैं। गौर करने वाली बात है कि अगर कोई व्‍यक्ति नौकरी या अपने पेशे की वजह से होम लोन से खरीदे घर में नहीं रहता है तो उसे ब्‍याज के भुगतान पर अधिकतम 2 लाख रुपये का ही फायदा होगा। 
  6. घर का किराया: अगर आपकी कंपनी आपको एचआरए या हाउसिंग फायदे नहीं देती है तो आप धारा 80जीजी के तहत इसका फायदा ले सकते हैं। यह अपना व्यवसाय करने वाले लोगों पर भी लागू होता है। धारा 80 जीजी के इन तीन नियमों के तहत आप सबसे कम कटौती वाले विकल्‍प के तहत ही क्लेम कर पाएंगे। मकान का किराया आपकी आय के 10 प्रतिशत से अधिक हो, 2000 रुपये प्रति माह या आपकी कुल आय का 25 प्रतिशत। आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80जीजी के तहत आयकर का लाभ पाने के लिए जरूरी है कि आप जहां रहते हैं या नौकरी करते हैं या कारोबार करते हैं, वहां आपका कोई घर नहीं हो। वहां आपकी पत्‍नी, बच्‍चे या आपके हिंदू अविभाजित परिवार की कोई आवासीय प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए। आपको फॉर्म नंबर 10बीए के जरिए यह घोषित करना होगा कि आपने किराए का भुगतान किया है और आप आयकर में लाभ प्राप्‍त करने की शर्तें पूरी करते हैं।अगर आप वेतनभोगी हैं और आपको एचआरए नहीं मिलता अगर आपका घर किसी दूसरे शहर में है और उसे किराए पर देने की बजाए खुद ही उसका इस्‍तेमाल कर रहे हैं तो आपको धारा 80जीजी के तहत आयकर का लाभ नहीं मिलेगा, भले ही आप किराए पर क्‍यों न रह रहे हों। 
  7. विशेष बीमारियों के इलाज पर खर्च: धारा 80 डीडीबी के तहत आप डिमेंशिया, पार्किसन डिसीज, क्रॉनिक रेनल फेल्‍योर, खतरनाक कैंसर आदि जैसी बीमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च में 40,000 रुपये की छूट पा सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के इलाज के मामले में यह छूट बढ़कर 60,000 रुपये हो जाती है। अक्षमता स्तर के 40 प्रतिशत से अधिक होने पर ही कोई व्यक्ति धारा 80 डीडीबी के तहत छूट का हकदार होगा। घातक कैंसर, एड्स, गुर्दो के काम करना बंद कर देने, थैलीसिमिया और हीमोफिलिया जैसी गंभीर बीमारियां भी इसमें कवर होती हैं। अगर आपके पास हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है तो आप सिर्फ उतनी ही राशि में कटौती के दावेदार होंगे, जिसकी क्षतिपूर्ति आपकी बीमा कंपनी द्वारा नहीं की गई हो।

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साभार: भास्कर समाचार
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