भारतीय रिजर्व बैंक ने नए होम लोन सस्ते करने की दिशा में तीन कदम उठाए हैं। एक तो बैंकों को होम लोन के बदले कम प्रोविजनिंग करनी पड़ेगी। दूसरा, रिस्क वेटेज कम कर दिया है। तीसरा कदम है एसएलआर में
कटौती। इन तीनों कदमों से बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसे होंगे और कर्ज सस्ता करने के लिए दबाव बढ़ेगा। बुधवार को घोषित मौद्रिक नीति में आरबीआई ने रेपो रेट को 6.25% पर बरकरार रखा है। आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का अनुमान भी 7.4% से घटाकर 7.3% कर दिया है। बैंकों को हर लोन के बदले कुछ रकम सुरक्षित रखनी पड़ती है, उसे स्टैंडर्ड एसेट प्रोविजन कहते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। बुधवार को घोषित मौद्रिक नीति में आरबीआई ने होम लोन के बदले प्रोविजनिंग 0.40% से घटाकर 0.25% कर दी। अभी तक 75 लाख रुपए से ज्यादा के व्यक्तिगत होम लोन पर रिस्क वेटेज 75% था, इसे घटाकर 50% कर दिया गया है। 30-75 लाख के लोन पर रिस्क वेटेज सिर्फ 35% होगा। एसएलआर 0.5% घटाकर 20% किया गया है। बैंकों को कुल जमा राशि का एक निश्चित हिस्सा सरकारी बांड में लगाना पड़ता है, उसे एसएलआर कहते हैं। रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी 6 सदस्यों में सिर्फ रवींद्र ढोलकिया ने रेपो रेट घटाने के लिए वोटिंग की।
कर्ज माफी से बढ़ेगी महंगाई: आरबीआई ने किसानों के कर्ज माफ किए जाने पर फिर आपत्ति जताई। उसका कहना है कि इससे राजकोषीय घाटा बढ़ने की आशंका है। घाटा बढ़ेगा तो महंगाई बढ़ेगी। गौरतलब है कि यूपी और महाराष्ट्र सरकार किसान कर्ज माफी की घोषणा कर चुकी हैं, कई अन्य राज्य ऐसा करने की सोच रहे हैं।
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साभार: भास्कर समाचार
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