Monday, June 5, 2017

रीअरेंजमेंट भविष्य में बहुत बड़ा कार्य क्षेत्र हो जाएगा

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
ईश्वर का शुक्र है उसने हमें उठाने की शक्ति नहीं दी है वरना आप तो हम सबको झाड़-पोंछकर कबर्ड में रख देते और इस घर को म्युज़ियम बना देते।' यह मेरी पत्नी की भुनभुनाहट है, जिन्होंने इसे इतनी बार दोहराया है कि
मैं तो गिनती भूल गया हूं। ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि उनके मुताबिक साफ-सफाई और नए सिरे से सजावट करने को लेकर मैं ऑब्सेज़िव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (ओसीडी) से पीड़ित हूँ। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। मैं हर चीज को या तो उसकी जगह पर रखूंगा या उन्हीं कोई नई तरतीब दूंगा ताकि घर में अनंत प्रवाह में आने वाली नई चीजों के लिए जगह बन सके अथवा कई बार सिर्फ नयापन लाने के लिए चीजों को नई व्यवस्था में सजा दूंगा। साफ कहूं तो मुझे नहीं पता था कि यह तथाकथित ओसीडी रोग कई अन्य लोगों के लिए बहुत बड़ा सामाजिक कार्य हो जाएगा। कई बार किसी काम में सीमित संसाधनों की बाधा को केवल कुछ पुनर्व्यवस्थापन से दूर किया जा सकता है। पेश हैं कुछ उदाहरण:
स्टोरी 1: प्रतीक्षा तिवारी गुजरात के मोरबी जिले में 20 सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था का अाकलन करने गईं। उन्होंने पाया कि स्कूल में कम्प्यूटर, एलसीडी मॉनिटर्स, कम्प्यूटर लैब सबकुछ है लेकिन, उनका रखरखाव ठीक नहीं है और कम्प्यूटर छात्रों का अनुपात गड़बड़ाया हुआ था। ठीक से रखरखाव होने और हर छात्र को कंप्यूटर की सुविधा मिलने का कारण उन्होंने पूछा तो इसके लिए उन्हें हमेशा दिया जाने वाला कारण ही बताया गया- पैसे की कमी। लेकिन, जब उन्होंने गहराई से जांच की तो पाया कि दोषी उदासीन स्टाफ और टीचर थे, जिन्हें टेक्नोलॉजी और पुनर्व्यवस्था में शायद ही कोई रुचि थी। 
दिल्ली में उनकी मां बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले प्रवासी कामगारों के बच्चों को एक कंप्यूटर और कई वायरलेस माउस की सहायता से पढ़ाती हैं। पांच हजार रुपए में उन्हें 20 वायरलेस माउस मिल गए और उन्होंने कंप्यूटर आधारित क्विज शुरू की ताकि छात्रों की भागीदारी बढ़ाई जा सके। इससे उन्हें मौजूदा कंप्यूटरों और सीखने के कार्यक्रम की सहायता से सारे छात्रों के लिए कार्यक्रम तैयार करने का विचार सूझा। ओएमपीसी (वन माउस पर चाइल्ड) कार्यक्रम ने सीमित आर्थिक संसाधनों से चलने वाले सारे क्लासरूप कार्यक्रमों की धारणा बदल दी। अब वे अपने कार्यक्रम को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का इरादा रखती हैं। धारणा का आधार ही यही है कि एक वायरलेस माउस ही एक कंप्यूटर है। 
स्टोरी 2: हर्षिता प्रकाश ने अपना शानदार आईटी जॉब छोड़ दिया और एसबीआई युथ इंडिया फेलोशिप प्रोजेक्ट में शामिल होकर बेंगलुरू से सीधे महाराष्ट्र के बीड़ जिले में चली गईं। उन्होंने सुभाष पालेकर की जीरो बजट नेचरल फार्मिंग अवधारणा को अपनाया और उन इलाकों में इसे अमल में लाने के लिए निकल पड़ी, जहां किसानों की सबसे अधिक आत्महत्याओं की रिपोर्ट थी। पहले तीन माह में 29 वर्षीय इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर कई वर्कशॉप के बाद भी सिर्फ पांच किसानों को खेती की उनकी प्रणाली को अपनाने पर राजी कर पाईं और वह भी अपनी जमीन के छोटे से क्षेत्र में। पहले ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे किसानों का बदलाव के लिए सहजता से राजी होने के कारण को समझा जा सकता है। गोबर, गोमूत्र और नीम की पत्तियों सहित कई अन्य चीजें आर्गनिक खाद बनाने के लिए एकत्र किए। किसानों ने धीरे-धीरे उस भूमि को बदलते देखा, जिस पर प्राकृतिक खाद का उपयोग किया जा रहा था। उसमें पानी 25 फीसदी कम लग रहा था पर उत्पादन अधिक था। अब किसान नई शैली की खेती के लिए आधी जमीन के इस्तेमाल पर राजी हो गए। हर्षिता को पूरा भरोसा है कि साल के अंत में जब वे यहां से चली जाएंगी तो पूरा जिला प्राकृतिक खेली के इलाके में तब्दील हो जाएगा। 
स्टोरी 3: पिछले छह माह से फाइनेंशियल कंसल्टेंट 28 वर्षीय अंकुर छाबड़ा महाराष्ट्र के पालघर स्थित आदिवासी स्कूल में शारीरिक नाप लेने के लिए लगातार मेडिकल कैंप लगाते रहते हैं। यहां हर 100 में 30 छात्र या तो ओवरवेट है या उसकी वृद्धि थम गई है। उनकी ऑडियो-वीडियो फिल्में माताओं को बच्चों की भोजन की आदतों में थोड़ा परिवर्तन लाकर संतुलित पोषक भोजन तैयार करने में मदद करती हैं। हरियाणा के घसेरा गांव में लोक स्वास्थ्य के लिए पहले किए गए उनके काम के कारण उन्हें मौजूदा पहल करने की प्रेरणा मिली। इसमें ोई लागत नहीं है और मौजूदा सब्जियों और खान-पान की आदतों में कुछ रीअरेंजमेंट या पुनर्व्यवस्थापन की ही जरूरत है और बच्चों का स्वस्थ्य विकास सुनिश्चित! 
फंडा यह है कि हरचीजों को नई व्यवस्था देने का ओसीडी भी भावी कॅरिअर होगा। क्योंिक सेहत, पर्यावरण संरक्षण से लेकर ग्रामीण आजीविक तक बड़े पैमाने पर रीअरेंजमेंट की जरूरत है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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