जलवायु परिवर्तन से निपटने के मसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुई भारत और चीन पर अटक गई है। व्हाइट हाउस ने ट्रंप के फैसले का बचाव करते हुए एक बार फिर से कहा कि जलवायु समझौते में
ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले इन दोनों देशों को जवाबदेह नहीं ठहराया गया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पेरिस करार से पीछे हटने के एक दिन बाद अमेरिका के पर्यावरण मंत्री स्कॉट प्रूइट ने राष्ट्रपति ट्रंप के फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने कहा, ‘जैसा आप जानते हैं चीन को वर्ष 2030 तक समझौते पर अमल करने से छूट दी गई है। भारत ढाई हजार अरब डॉलर (तकरीबन 150 लाख करोड़ रुपये) की सहायता राशि मिलने के बाद ही पेरिस समझौते के प्रावधानों को प्रभाव में लाएगा। वहीं, रूस ने अपने लिए 1990 को आधार वर्ष बनाया है। इसका मतलब यह हुआ कि मास्को कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करता रहेगा।’ पेरिस समझौते पर 190 से ज्यादा देशों ने हस्ताक्षर किया था, लेकिन अमेरिका के इससे पीछे हटने से मुहिम को झटका लगा है।
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साभार: जागरण समाचार
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