इस बार होम वर्क नहीं समर कैंप के सहारे ही स्कूली बच्चों की छुट्टियां बीतेंगी। अब तक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पुस्तकें नहीं पहुंच पाने से तो ऐसा होना निश्चित हो गया है। जहां तक पिछले अप्रैल और मई माह की बात है
गुरु जी कह रहे हैं कि इस अवधि के दौरान बच्चों की दक्षता निखारने पर फोकस रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों की जुबान पर है कि तीन माह का समय तो कम से कम बीत ही गया है जुलाई में किताबें आएंगी या नहीं इसका भी भरोसा नहीं है। ऐसे में सिलेबस कब तक पूरा होगा यह कहा नहीं जा सकता। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 2395 मिडिल स्कूल हैं और 8705 स्कूल प्राइमरी हैं। जहां तक अकेले भिवानी जिला की बात है 157 मिडिल और 657 प्राइमरी स्कूल हैं। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लाखों बच्चे पढ़ते हैं। इन सरकारी स्कूलों के बच्चों को पुस्तकें स्कूल में ही मिलती हैं। लेकिन दो माह का समय तो वैसे ही बीत गया और 30 जून तक स्कूलों की छुट्टियां रहेंगी।
दो माह तक सरकारी बच्चों का टैलेंट निखारने पर ही रहा फोकस: सरकारी स्कूलों के अध्यापकों की मानें तो यह सही है कि स्कूलों में किताबें नहीं पहुंची। लेकिन बाकायदा आला अधिकारियों से पत्र जारी हुआ था कि गर्मी की छुट्टियों से पहले बच्चों को पिछली कक्षा में जो सीखा उसकी तैयारी कराना। इसके अलावा उनमें सीखने का जज्बा पैदा करना। उनकी दक्षता निखारने पर जोर देने के लिए कहा गया था। बच्चे किताबी कीड़ा ना बनें इस पर भी फोकस किया गया था।
शनिवार को मनाया जा रहा है ज्वायफुल-डे: शिक्षक कहते हैं कि शनिवार को ज्वायफुल डे मनाया जा रहा है। इस दौरान भी बच्चों को पुस्तकों की बजाय खेल-खेल में सिखाया जाता है। इसके लिए गुरुजनों को भी बच्चों में सीखने की ललक पैदा करने के लिए उनमें जज्बा पैदा करना होगा। शिक्षक को टैलेंट निखारने में अहम भूमिका निभानी होगी।
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साभार: जागरण समाचार
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