Friday, June 9, 2017

मनरेगा घोटाले में घिरे हरियाणा के चारों आइएएस को राहत देने की तैयारी

अंबाला के मनरेगा घोटाले में घिरे हरियाणा के चारों आइएएस अधिकारियों को राहत देने की तैयारी है। प्रदेश सरकार ने लोकायुक्त जस्टिस एनके अग्रवाल की उस सिफारिश पर इन चारों आइएएस अधिकारियों से
टिप्पणी मांग ली, जिसमें उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कर तीन माह में रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। इन अफसरों की टिप्पणी मिलने के बाद राज्य सरकार उस पर कानूनी राय ले सकती है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अंबाला में करीब 25 करोड़ रुपये का हुआ था, जिसमें इन चारों आइएएस अधिकारियों ने डीसी व एडीसी रहते हुए नियमों के विपरीत जाकर तकनीकी पावर नहीं होने के बावजूद मनरेगा की मजदूरी के चेक काटे। अंबाला के तत्कालीन विधायक और अब स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने यह मामले को विधानसभा में उठाया था, जिसके बाद हुड्डा सरकार ने विजिलेंस जांच के आदेश दिए।
पानीपत के आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर इस मामले में बड़े अफसरों पर कार्रवाई न होती देख लोकायुक्त की अदालत में गए, जहां चारों आइएएस समीरपाल सरो, मोहम्मद शाइन, रेणु फुलिया और सुमेधा कटारिया के खिलाफ फैसला आया। लोकायुक्त के इस फैसले के बाद दो आइएएस अधिकारियों ने उनसे मिलने की कोशिश भी की, लेकिन बात नहीं बनी तो एक आइएएस लिखित में अपना जवाब दे आए। मामला बढ़ता देख इन आइएएस अधिकारियों ने मुख्य सचिव डीएस ढेसी से भी बातचीत की है। इन अधिकारियों ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गैर वाजिब ठहराते हुए लोकायुक्त की सिफारिश को अनुचित करार दिया है।
इन अधिकारियों की बात सुनने के बाद राज्य सरकार ने उनसे लिखित में टिप्पणी मांग ली है। इन टिप्पणी में कोई भी अधिकारी यह स्वीकार नहीं करेगा कि उसने कोई गलती की। लिहाजा सरकार की तरफ से उन्हें कानूनी राय लेने के बाद राहत मिल सकती है।
दूसरी तरफ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग पूरी तरह से हाथ पर हाथ धरे बैठा है। मनरेगा की जिस राशि का गोलमाल हुआ है, वह वास्तव में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की है।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: जागरण समाचार 
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