फीस बढ़ोतरी की समस्या हर नए साल में अभिभावकों को सबसे ज्यादा परेशान करती है। इस बार ऐसा न हो इसके लिए सीबीएसई ने कदम उठाया है। बोर्ड ने निजी स्कूलों से फीस के ढांचे का रिकार्ड तलब किया है। मतलब
साफ है, बोर्ड देखना चाहता है कि कौन का स्कूल किस मद में कितनी वसूली कर रहा है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एचआरडी (मानव संसाधन विकास मंत्रलय) मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि बोर्ड ने इस आशय का निर्देश इस वजह से दिया है कि निजी स्कूल मनमानी न कर सके। उनका कहना है कि फीस का ढांचा बोर्ड के पास पहुंचने से इस बात का अनुमान लगाया जा सकेगा कि स्कूल किस मद में कितना पैसा वसूल रहा है। उन्होंने माना कि अभिभावकों की शिकायत सामने आई हैं कि स्कूल फीस में मन मर्जी की बढ़ोतरी कर रहे हैं। सबसे ज्यादा परेशानी फीस के अतिरिक्त वसूली जाने वाली रकम को लेकर है। जावड़ेकर का कहना है कि बहुत से स्कूलों का रिकार्ड बोर्ड के पास आ गया है। जिनका नहीं मिला उन्हें फिर से संपर्क किया जा रहा है। अगर वह फिर भी आंकड़े नहीं देते हैं तो प्रबंधन पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
उधर, फीस बढ़ोतरी पर लगाम के लिए गुजरात सरकार का कदम ‘गुजरात सेल्फ फाइनेंस स्कूल बिल 2017’ अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गया है। गुजरात के शिक्षा मंत्रलय ने चार स्तरीय फामरूला तैयार किया है जिसमें जोन के हिसाब से फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें प्राइमरी के लिए फीस 15 हजार, सेकेंडरी के लिए 25 हजार व हायर सेकेंडरी स्कूलों के लिए 27 हजार फीस का प्रस्ताव है। खुद जावड़ेकर के साथ उप्र, महाराष्ट्र ने बिल की कापी गुजरात से मांगी है।
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साभार: जागरण समाचार
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