राष्ट्रपति को संसद के दोनों सदनों और राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य मिलकर चुनते हैं। सभी सांसदों और विधायकों के पास निश्चित संख्या में वोट हैं। हालांकि, हर निर्वाचित विधायक और सांसद के वोटों
का मूल्य अलग-अलग होता है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव जिस प्रक्रिया से होता है उसे आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली कहा जाता है।
विधायकों के वोट की वैल्यू: इसमें वोट का अनुपात निकालने के लिए राज्य की कुल आबादी को चुने गए विधायकों की संख्या से विभाजित किया जाता है। इसके बाद जो अंक निकलता है, उसे 1000 से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो अंक प्राप्त होता है, उसी से राज्य के एक विधायक के वोट की कीमत तय होती है।
सांसद के वोट की वैल्यू: देश के सभी विधायकों के वोटों का मूल्य जोड़ा जाता है। इसे लोकसभा और राज्यसभा में चुने हुए सांसदों की संख्या से भाग दिया जाता है। इसके बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह एक सांसद के वोट का मूल्य है। भाग देने पर अगर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक का इजाफा हो जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव में मोदी सरकार की स्थिति: एनडीए के पास करीब 48.64 फीसदी वोट हैं। बीजेपी के 5 लाख 32 हजार 19 में से करीब 20 हजार कीमत के वोट सहयोगी दलों के हैं। योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और मनोहर पर्रिकर के इस्तीफे रुकवाकर बीजेपी ने 2100 वोट बचा लिए। देश के 29 राज्यों में से 12 में बीजेपी की सरकार है, जबकि 5 राज्यों में इनके सहयोगी दलों की सरकार है।
विपक्ष की स्थिति: विपक्षमें सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के अलावा लेफ्ट और तृणमूल कांग्रेस समेत करीब 23 दल शामिल हैं। राजनीतिक समीकरणों के आधार पर इनका वोट प्रतिशत करीब 35.47 फीसदी है। यानी करीब 3.91 लाख वोट।
छोटे दलों की स्थिति: आप,बीजू जनता दल, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएमके ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इनका वोट प्रतिशत भी करीब 13 फीसदी है। यानी करीब 1.70 लाख वोट।
राष्ट्रपति चुनाव का मौजूदा गणित: इसमें 776 सांसद और 4120 विधायक वोट डालेंगे। यानी कुल 4896 लोग मिलकर नया राष्ट्रपति चुनेंगे। प्रक्रिया के मुताबिक इन वोटों की कीमत 10.98 लाख है। यानी जीत के लिए 5.49 लाख कीमत के बराबर वोटों की जरूरत होगी। राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों का वेटेज 1971 की जनसंख्या के आधार पर निकाला जाता है। वर्तमान व्यवस्था 1974 से चल रही है और 2026 तक लागू रहेगी।
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साभार: भास्कर समाचार
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