Friday, June 9, 2017

तीन उदाहरण असल जिंदगी से: खुशी पाने के लिए अच्छे चरित्र का निर्माण करें

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
स्टोरी 1: जब आप यह अखबार पढ़ रहे होंगे, आपके और मेरे जैसे कई बड़ी उम्र के परिपक्व लोग गुजरात के 17 साल के 12वीं पास एक लड़के के सामने अपना सिर झुका रहे होंगे। इस साल 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में
99.99 पर्सेन्टाइल हासिल करने वाला यह लड़का बड़े आंकड़ों और वर्चुअल मनी के बीच पला-बढ़ा हुआ है, क्योंकि उसके पिता आयकर अधिकारी हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि उसने इतने अच्छे अंकों के बावजूद इस वर्चुअल मनी को असली मनी में तब्दील करने के लिए सीए या एमबीए का चुनाव नहीं किया है। इसकी बजाय उसने आंतरिक खुशी को प्राथमिकता दी है। उसने सफेद वस्त्र चुने हैं और जैन मुनि बनकर जीवन बिताने वाला है। मिलिए वर्षिल शाह से, जिसने बुधवार को सूरत में दीक्षा ग्रहण की है। उसने संन्यासी बनकर जीवन को और मजबूत बनाने का फैसला किया है। यह विचार उसे 32 साल के गुरु कल्याण रत्न विजयश्री महाराज से मुलाकात के बाद आया। उन्होंने अहसास कराया कि भौतिक संसार स्थायी खुशी नहीं दे सकता, जिसकी तलाश में करोड़ों लोग रहते हैं। 
स्टोरी 2: असलप खान अच्छे पुलिसकर्मी थे, मेरठ की निवासी हैं और दिल्ली के आरके पुरम यूनिट में क्राइम ब्रांच से जुड़े थे। उन्हें समय से पहले प्रमोशन देने की सिफारिश की गई थी, क्योंकि उन्होंने शाकिर नाम के वांछित अपराधी की गिरफ्तारी में अहम भूमिका निभाई थी। कुछ समय पहले उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में एक पुलिसकर्मी की हत्या कर भागे अपराधियों के खिलाफ मुहिम में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन, यह पुलिसकर्मी अचानक छह महीने के लिए गायब हो गया और जब विभाग को उसके बारे में खबर मिली तो यह उसके लिए राहत की जगह घोर शर्मिन्दगी का कारण बनी। वह केरल में एक बैंक और एटीएम में लूट का मास्टरमाइंड निकला। गैंग के बारे में शक है कि यह उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक में भी सक्रिय है। 
स्टारी 3: पूर्व सांसद एरा सेझियन (94) का उम्र संबंधी कारणों से बुधवार को निधन हो गया। 28 अप्रैल 1923 को तमिलनाडु के तंजावुर जिले में उनका जन्म हुआ था। 1939 की एसएसएलसी बोर्ड परीक्षा में वे गोल्ड मेडलिस्ट थे और 1944 में बीएसी ऑनर्स (गणित) में उन्होंने टॉप किया था। दिल से वे एक टीचर थे, लेकिन उन्होंने राजनीति में जाने का सपना देखा जो उनकी सीख से एकदम अलग था। वे डीएमके के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुराई के नज़दीकी थे और दो दशकों तक उनके सहयोगी रहे। बाद में अन्नादुराई ने 1962 के आम चुनाव में उनकी मदद चुनाव लड़ने में की। 15 साल तक लोकसभा और 12 साल तक राज्यसभा में रहे। 1978 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के सहयोगी रहे। सक्रिय राजनीति से 2001 में रिटायरमेंट लेने के बाद उनके मन के टीचर ने मरने से इंकार कर दिया। और हाल ही में वे अपनी किताब- 'शाह कमीशन रिपोर्ट : लॉस्ट एंड रीगेंड और पार्लियामेंट फॉर पीपुल' के साथ सामने आए। राजनीतिक दलों के नेताओं ने इन किताबों का स्वागत किया। 
याद रखना चाहिए कि बर्तन, दिया और अन्य कई तरह की चीजें बनाने के लिए मिट्‌टी मूल तत्व होती है। ठीक इसी तरह कई तरह के गहने सोने से बनाए जाते हैं। इन उदाहरणों में पदार्थ यानी मिट्‌टी से बर्तन और सोने से अंगूठी में बदल जाता है। जब बर्तन टूटता है या अंगूठी को गलाया जाता है तो यह अपना आकार खो बैठते हैं, लेकिन इसमें इस्तेमाल पदार्थ नहीं बदलता। अच्छे इंसानों का चरित्र भी मिट्‌टी और धातु की तरह ही होता है। वे कामकाजी जीवन में विभिन्न आकार और पद लेते हैं, लेकिन अपना नैसर्गिक गुण नहीं छोड़ते। 
फंडा यह है कि इंसानका चरित्र उसे वह बनाता है जो वह है और चरित्र ही जिंदगी में मिलने वाले सारे अलंकारिक पदों से ज्यादा अहम है। 
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साभार: भास्कर समाचार 
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