Wednesday, June 7, 2017

विद्यार्थियों, अध्यापकों और अभिभावकों के लिए तीन उदाहरण: कामयाब होने के लिए उद्‌देश्य पर फोकस रखें

एन. रघुरामन (मैनेजमेंट गुरु)
अगर सफल ऑर्गेनाइजेशन बनना चाहते हैं तो अपने उद्‌देश्य को लिखिए और उस पर फोकस कीजिए। यहां पेश हैं तीन उदाहरण। 
उद्‌देश्य छात्रों को रोजगार योग्य बनाना: समान अल्फाबेट होने के बावजूद आईटीआई (इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग
इंस्टिट्यूट) अपने बड़े भाई यानी आईआईटी (इंडियन इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलॉजी) से छात्रों को बड़े आर्थिक पैकेज पर जॉब दिलाने सहित कई मामलों में मेल नहीं खाता। लेकिन, आईटीआई अपने कोर काम से हटने को तैयार नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। शानदार इमारतों वाले लेकिन, रोजगार के लिए अयोग्य छात्र देने वाले इंजीनियरिंग कॉलेजों से उलट यह अपने हर छात्र को रोजगार योग्य बनाता है। अप्रेंटिस एक्ट हर आईटीआई पासआउट छात्र के लिए रोजगार सुनिश्चित करता है, पिछले साल 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करने वाले कक्षा दस के 2000 से ज्यादा छात्रों ने आईटीआई में प्रवेश लिया था। आईटीआई 10वीं में फेल छात्रों को भी प्रवेश देता है। हालांकि प्रवेश लेने वाले अधिकतर छात्र 50 से 60 प्रतिशत अंक लाने वाले होते हैं। इस साल तो पढ़ाई में अच्छे लेकिन, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 90 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों ने भी आईटीआई में प्रवेश लिया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आईटीआई अपने कोर यानी रोजगार योग्य शिक्षा पर कायम है। 
उद्‌देश्य छात्रों को गैजेट के साथ समय बिताने से रोकना: 12वीं कक्षा के इनवेंचर एकेडमी बेंगलुरू के छात्र ध्रुव भाटिया बहुत कम ही छुट्‌टी लेते हैं। वे कभी गैजेट के साथ समय बर्बाद नहीं करते। समय पर उठते हैं और समय से पहले स्कूल पहुंच जाते हैं। इस महंगे स्कूल के वे एक मात्र छात्र नहीं हैं। स्कूल ने कई तरीकों पर काम किया कि कैसे बच्चों को गैजेट के मोह से निकाला जाए। फिर स्कूल ने तय किया कि चार गोल्डन रिट्राइवर लाए जाएं, ताकि छात्रों को प्रकृति के नजदीक लाया जा सके, खास कर गैजेट्स से दूर। ये डॉग्स अच्छे प्रशिक्षकों के साथ लाए गए। इन्हें आज्ञाकारी बनाने की ट्रेनिंग दी गई, ताकि बच्चे भी धैर्य को समझ सकें और परीक्षा के तनाव से भी निपट सकें। सभी बच्चों को डॉग्स से निपटने के लिए ट्रेंड किया गया। जानवरों से डरने वाले बच्चों को कई हिस्सों में बिना किसी दबाव के डॉग्स से मिलवाया गया, ताकि वे अन्य जानवरों को भी सहजता से हैंडल कर सकें। खास उद्‌देश्य एकदम स्पष्ट था। घोर व्यक्तिवादी समाज में स्कूल चाहता था कि बच्चों में अपने आसपास के वातावरण के प्रति संवेदना पैदा हो और लर्निंग के वातावरण को और सहज उद्‌देश्यपरक बनाया जा सके। स्कूल ने पिछले कुछ हफ्तों में शानदार सुधार किया है। वे भी इन पपीज़ के कारण। गैजेट बच्चों के दिमाग से पूरी तरह बाहर हो गए हैं। 
उद्‌देश्य छात्रों की उच्च शिक्षा में रुचि बढ़ाना: कई आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोग अपने बच्चों को 8वीं के बाद स्कूल भेजने में असमर्थ रहते हैं। अहमदाबाद के प्राथमिक स्कूल के टीचर्स ने इस समस्या को रोकने के लिए एक एनजीओ से हाथ मिलाया और सुनिश्चित किया कि 8वीं क्लास के 81 बच्चे आगे की अपनी पढ़ाई भी निर्बाध जारी रखें। अहमदाबाद के थालतेज प्राथमिक शाला नंबर 1 के स्कूल टीचर्स ने इस साल जनवरी से बच्चों के रिएडमिशन का प्रयास शुरू किया। उनका उद्‌देश्य था कि कक्षा 8 के दो भागों के 81 छात्र अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखें। 27 छात्र जो विभिन्न कारणों से पढ़ाई छोड़ना चाहते थे उनके लिए पढ़ाई जारी रखने और प्रतियोगिता परीक्षा के लिए काउंसलिंग की गई। लेकिन, फिर भी बहुत ही कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण आखिर में 12 छात्रों ने पढ़ाई बीच में छोड़ दी। उनके पेरेंट्स चाहते हैं कि अब वे कुछ कमाई करें। 
फंडा यह है कि हर संस्थान का एक उद्‌देश्य होता है और वह तभी सफल हो सकता है, जब वहां के लोग अपने उद्‌देश्य पर फोकस रखें। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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