हरियाणा के शहरी निकायों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने की मंशा से सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं की पॉकेट पर भार बढ़ा दिया है। इसके तहत शहरों की स्ट्रीट लाइटें अब उपभोक्ताओं के खर्च से जगमगाएंगी।
सरकार ने उपभोक्ताओं के बिजली बिलों पर वसूल किए जाने वाले म्युनिसिपल टैक्स में बढ़ोतरी कर दी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अभी तक पांच पैसे प्रति यूनिट की दर से म्युनिसिपल टैक्स वसूला जाता था, मगर नई व्यवस्था के तहत अब कुल बिजली बिल का दो फीसद यह टैक्स देना होगा। इस टैक्स की वसूली बिजली कंपनियां करेंगी और यह राशि सीधे शहरी निकायों को ट्रांसफर कर दी जाएंगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में वीरवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया है। बिजली निगमों का शहरी निकायों पर करीब 450 करोड़ रुपये बकाया है, जिसे देने की स्थिति में शहरी निकाय नहीं हैं। शहरी निकायों द्वारा बिजली कंपनियों के दफ्तरों से प्रॉपर्टी टैक्स मांगे जाने के बाद यह मुद्दा मुख्यमंत्री तक पहुंचा। इसके बाद सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए म्युनिसिपल टैक्स में बढ़ोतरी कर दी है। उधर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि इस फैसले से बिजली उपभोक्ताओं पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। बेदी ने स्पष्ट किया कि कुल बिल का 2 फीसद पैसा बिजली निगम अपनी तरफ से निकायों को देंगे, जबकि बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों ने कहा कि भला बिजली निगम अपनी जेब से यह पैसा क्यों देंगे। पैसा उपभोक्ताओं से ही वसूला जाएगा।
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साभार: जागरण समाचार
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