पिछले साल जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केसों को जाटों सरकार के बीच हुए समझौते के बाद वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। हरियाणा के गृह विभाग ने आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लेने के
लिए पत्र जारी किया है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पत्र के मुताबिक रोहतक के 5 थानों में दर्ज 16 केसों को वापस लिया जा रहा है। विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी द्वारा जारी पत्र के आधार पर डीए के निर्देशन में कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इन केसों में हाईवे जाम से लेकर तोड़फोड़ तक के आरोप लगे हैं। इससे पहले सरकार मृतकों के परिजनों को सरकारी नौकरी भी दे रही है। आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केसों को सीआरपीसी 321 के तहत वापस लेने के लिए जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से 20 मई को पत्र भेजकर सिफारिश की गई थी। गृह विभाग के एसीएस द्वारा जारी पत्र के मुताबिक 36 बिरादरी का भाईचारा, आपसी सद्भाव बनाए रखने का हवाला देकर केस वापस लेने के लिए कहा गया है। - दंगों के दौरान दर्ज किए गए केस के मामले में 321 सीआरपीसी के तहत पत्र मिला है। इसे डिस्ट्रिक अटॉर्नी को आगामी कार्यवाही के लिए भेजा गया है। अब डीए की ओर से जज के सामने आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। -अतुल कुमार, डीसी, रोहतक।
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साभार: भास्कर समाचार
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