Saturday, August 6, 2016

दूध में मिलावट करने वालों को हो उम्रकैद; सुप्रीम कोर्ट ने विचार करने के दिए निर्देश

दूध में मिलावट पर सुप्रीमकोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए मिलावट रोकने के लिए सरकार को विभिन्न दिशानिर्देश जारी किये हैे। सुप्रीमकोर्ट स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचाने वाली मिलावट पर उम्रकैद जैसी कड़ी सजा का पक्षधर है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह आइपीसी में संशोधन कर सजा सख्त करने पर विचार
करे जैसा कि कुछ राज्यों ने किया हुआ है। साथ ही सजा कड़ी करने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं मानक (एफएसएस) कानून पर भी पुनर्विचार किया जाए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। एफएसएस कानून में फिलहाल मिलावट के लिए छह महीने के कारावास की सजा का प्रावधान है। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल ने आइपीसी की धारा 272 और 273 में संशोधन कर स्वास्थ्य को गंभीर हानि पहुंचाने वाली मिलावट पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया है। हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मिलावट पर आइपीसी के तहत मामला चलाए जाने का उत्तर प्रदेश सरकार का आदेश यह कहते हुए रद कर दिया था कि खाद्य सुरक्षा कानून विशेष कानून है और उसके रहते आइपीसी के प्रावधान लागू नहीं होंगे। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ 2012 से उत्तर प्रदेश सरकार की अपील सुप्रीमकोर्ट में लंबित है। 1मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमति व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने दूध में मिलावट का मुद्दा उठाने वाली जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये आदेश जारी किये हैं। स्वामी अच्युतानंद तीरथ ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में दूध की मिलावट व सेंथेटिक दूध की बिक्री का मुद्दा उठाया था। कोर्ट ने याचिका निपटाते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को विस्तृत दिशा निर्देश दिये हैं, जिसमें जांच प्रणाली दुरुस्त करना आदि शामिल है।
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साभारजागरण समाचार 

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