निजी विद्यालय व प्रदेश सरकार अक्सर मान्यता या अन्य किसी मसले पर एक-दूसरे के आमने-सामने रहते आए हैं। 134-ए नियम के गणित को सरकार सुलझा नहीं पा रही है तो निजी विद्यालय भी इसे हजम नहीं कर रहे हैं। नतीजन इतिहास में पहली बार विद्यालयों की इतनी लंबी हड़ताल सामने आई है। चार दिन से
विद्यालयों पर ताले लटके हैं। अभी यह हड़ताल जारी है। सीएम सिटी में 10 मई को निजी विद्यालयों के संचालक एकत्रित होकर प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन करेंगे। यह संकेत भी मिल रहा है कि उनकी मुख्य मांग पूरी नहीं होने तक विद्यालय नहीं खोले जाएंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। 134-ए नियम के विरोध में हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड व सीबीएसई से मान्यता प्राप्त विद्यालय एकजुट हैं। उनकी मांग है कि 134-ए नियम को समाप्त करके शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया जाए। इसके तहत गरीब बच्चों को विद्यालय में दाखिला दिया जाए। इसकी एवज में केंद्र व प्रदेश सरकार मिलकर निजी विद्यालय को भुगतान करती है। निजी विद्यालयों से संबंधित मान्यता की मांग पूरी की जाए। जबकि मुख्य तौर पर 134-ए को लेकर विद्यालय 6 मई को हड़ताल पर चले गए थे। पहले दो दिन की हड़ताल की गई। इसके बाद फिर यह हड़ताल अनिश्चितकालीन करने का ऐलान हो गया। यह आंदोलन विद्यालयों से संबंधित कई संगठन संभाल रहे हैं। 10 अप्रैल को करनाल में प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन का ऐलान हो चुका है। इस प्रदर्शन में प्रदेश भर के निजी स्कूल के संचालकों को आना है। प्रदर्शन स्थल सेक्टर 12 में प्रस्तावित किया गया है। इस आयोजन को लेकर हरियाणा यूनाइटेड स्कूल एसोसिएशन के पदाधिकारी दिनभर जुटे रहे। एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मान ने कहा कि अभी उनकी हड़ताल जारी है। उनकी मुख्य मांग है कि 134-ए को समाप्त करके शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया जाए। 134-ए नियम के जरिए सरकार एक तरह से बच्चों व उनके परिजनों को अपमानित करने का काम भी कर रही है। इसके बजाए सरकार शिक्षा का अधिकार कानून को लागू करे।
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साभार: जागरण समाचार
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