फिर पाकिस्तान के साथ प्रस्तावित द्विपक्षीय बातचीत रद होने की आशंका गहरा गई है? फैसला अगले दो तीन दिनों में हो सकता है। पठानकोट हमले के बाद देश में बने माहौल और पाक पीएम नवाज शरीफ की वहां की सेना व खुफिया एजेंसियों पर बेहद ढीली पकड़ को देखते हुए पीएम मोदी के लिए वार्ता को जारी रखना
काफी मुश्किल भरा कदम होगा। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। पठानकोट हमले से निबटने के बाद सरकार के लिए पहला फैसला इस प्रस्तावित वार्ता को लेकर ही करना होगा। यही वजह है कि पीएम मोदी रविवार रात और सोमवार सुबह में दो बार विदेश मंत्रलय के अधिकारियों के साथ विचार विमर्श कर चुके हैं। हमले को लेकर मोदी की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली से जब यह पूछा गया कि भारत-पाक के बीच प्रस्तावित बातचीत का क्या भविष्य है तो उनका जवाब था कि इस बारे में पठानकोट आपरेशन पूरी तरह खत्म होने के बाद ही फैसला किया जाएगा। जेटली ने इसके अलावा कुछ नहीं कहा लेकिन माना जा रहा है कि सरकार हर तरह के विकल्प पर विचार करेगी। एक विकल्प यह भी हो सकता है कि विदेश सचिवों के बीच होने वाली बातचीत के बजाये अभी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक की जाए। इसमें पठानकोट हमले के संदर्भ में किस तरह से आतंकी हमलों को रोका जाए इस पर विचार विमर्श हो। विदेश सचिव स्तर की होने वाली बातचीत बाद में आयोजित की जा सकती है। उसके लिए नए सिरे से तिथि तय की जा सकती है।
सूत्रों के मुताबिक पठानकोट हमले के बाद भारत सरकार के पास फिर वैसी ही स्थिति पैदा हो गई है जैसी मुंबई हमले के समय हुई थी। साफ हो रहा है कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार का वहां की सेना और आइएसआइ पर कोई जोर नहीं चलता। इस वजह से तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने लगभग तीन वर्षो तक पाक से बातचीत को टाल रखा था।
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साभार: जागरण समाचार
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