हरियाणा के लोकायुक्त जस्टिस प्रीतमपाल सिंह अफसरों के रवैये से बेहद नाराज हैं। अपने पांच साल के कार्यकाल में लोकायुक्त ने जितने भी फैसले सुनाए, अधिकतर में अधिकारियों ने उनका अनुपालन नहीं किया और न ही लोकायुक्त के पास एक्शन टेकन रिपोर्ट भिजवाई। लोकायुक्त चाहते हैं कि इस संवैधानिक संस्था
को पावर दी जानी चाहिए, ताकि उनके द्वारा दिए जाने वाले फैसलों को जिम्मेदारी से लागू कराया जा सके। लोकायुक्त अपने फैसलों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं देने वाले अफसरों के विरुद्ध अदालत की अवमानना का केस बनाए जाने के पक्षधर हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के शासनकाल में नियुक्त जस्टिस प्रीतमपाल 18 जनवरी को लोकायुक्त के रूप में पांच साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। इस अवधि के बाद राज्य को नया लोकायुक्त मिलेगा। जस्टिस प्रीतमपाल के अनुसार वे अपने पांच साल के कार्यकाल से संतुष्ट हैं। उन्होंने परमात्मा को हाजिर नाजिर मानते हुए न्याय किया। काम करते हुए कई कमियां भी सामने आई, जिन्हें दूर करने के सुझाव सरकार के पास भेज दिए गए हैं। जस्टिस प्रीतमपाल ने बृहस्पतिवार को राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी से मुलाकात कर उन्हें 103 पेज की रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में उन्होंने अपने पूरे कार्यकाल की उपलब्धियां बताते हुए लोकायुक्त जैसी संवैधानिक संस्था को मजबूत करने के लिए कड़े फैसले लिए जाने की सिफारिश भी की है। उन्होंने रिपोर्ट में अफसरों द्वारा फैसलों का अनुपालन नहीं किए जाने तथा लोकायुक्त कार्यालय में एक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं भिजवाए जाने पर खासी नाराजगी जाहिर करते हुए ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार खुद लोकायुक्त को दिए जाने का सुझाव सरकार के पास भेजा है। लोकायुक्त का कहना है कि संवैधानिक पद पर बैठे होने की वजह से वे यह तो नहीं बता सकते कि कितने फैसलों में एक्शन टेकन रिपोर्ट नहीं आई, लेकिन मैंने राज्यपाल को इसकी जानकारी दे दी है।
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साभार: जागरण समाचार
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