Friday, January 15, 2016

सराहनीय: लाइब्रेरी वैन में चार हजार किताबें लेकर 20 राज्यों की यात्रा पर निकले भुवनेश्वर के दो दोस्त

किताबों को दोस्त माना जाता है। लेकिन बहुत कम लोग ही अब किताबें पढ़ना पसंद कर रहे हैं। इसीलिए रीडिंग को प्रमोट करने के लिए भुवनेश्वर की शताब्दी मिश्रा और अक्षय राउतराय भारत भ्रमण पर निकल पड़े हैं। उनके साथ में पूरी लाइब्रेरी वैन है। इसमें चार हजार किताबें हैं। लाइब्रेरी वैन का नाम है 'वाॅकिंग बुक फेयर'। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उनका मकसद ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास तक किताबों को
पहुंचाना है, जिससे लोग किताबें पढ़ें। वह 90 दिनों में 10 हजार किलोमीटर की यात्रा करके 20 राज्यों में जाएंगे। भास्कर से बातचीत में शताब्दी ने बताया कि वह फिलहाल बेंगलुरु में हैं। 
32 साल की शताब्दी मिश्रा मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई कर एक विज्ञापन एजेंसी के लिए फ्री लांसिंग करती थीं। अक्षय भुवनेश्वर में बुक स्टोर चलाते थे। दोनों पुराने दोस्त हैं। दोनों ने एक आइडिया प्लान किया कि क्यों हम लोगों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करें। 2014 में उन्होंने 'वाकिंग बुक स्टोर' शुरू किया। इसके बाद वह ओडिशा भ्रमण पर निकल पड़े। वैन लाइब्रेरी को लेकर राज्य के 30 जिलों में गए। अब वे भारत भ्रमण पर निकले हैं। 15 दिसंबर को उन्होंने टूर 'रीड मोर इंडिया' भुवनेश्वर से शुरू किया। और अब तक छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु जा चुके हैं। अगला पड़ाव महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, यूपी, दिल्ली, हरियाणा, बिहार, झारखंड आदि राज्य होंगे। 15 मार्च तक वे भ्रमण पर रहेंगे। लाइब्रेरी में कहानी, मोटीवेशनल, नॉलेज, फिक्शन, आर्ट आदि विषयों की किताबें उपलब्ध हैं। शताब्दी कहती हैं, 'हमारा मकसद है देश के हर कोने तक नॉन कैरीकुलम किताबों को पहुंचाना। क्योंकि देश में बहुत से ऐसे इलाके हैं जहां किताबों की दुकान ही नहीं हैं। सिर्फ शहरों तक ही किताबें सीमित रहें, हर व्यक्ति के पास पहुंचे। युवाओं की आलमारी में सिर्फ सिलेबस की ही किताबें होती हैं। वे मोटीवेशनल, नॉलेज की किताबें नहीं पढ़ पाते हैं।' वह बताती हैं कि हम जहां भी जा रहे लोगों का बहुत अच्छा सहयोग मिल रहा है। बहुत से लोग कॉल करते हैं कि आप हमारे गांव शहर में कब आएंगे। वैन लाइब्रेरी पर लोग किताबें पढ़ते हैं और खरीदते भी हैं। यह फ्री लाइब्रेरी है। जो किताब खरीदना चाहता है उसे 20 फीसदी छूट देते हैं। कई बार लोग स्कूल, कॉलेज में बुलाते हैं तो हम वहां भी जाते हैं। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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