Friday, January 29, 2016

15 साल से अतिसंवेदनशील गांव में युवाओं की जिद ने बना दी पूरी पंचायत महिलाओं की

भिवानी रोहिला - हिसार जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर यही कहीं 5500 की आबादी वाला गांव। प्रशासन की नजर में यह गांव करीब 15 साल से अतिसंवेदनशील था, लेकिन युवाओं की जिद ने यहां भाईचारा कायम करा दिया। यहीं नहीं, बेटियों के प्रति लोगों की सोच और व्यवहार बदले, इसलिए पूरी की पूरी पंचायत महिलाओं की बनवा दी। वो भी सर्वसम्मति से। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। भिवानी रोहिला प्रदेश की पहली पंचायत है, जहां सरपंच और सभी 12 पंच सभी महिलाएं हैं। जाति, वर्ग, समुदाय के वर्चस्व का पर्याय बन चुके पंचायत चुनाव में यह सब इतना आसान नहीं था, लेकिन गांव के चार युवाओं सुरेंद्र गोस्वामी, नरेंद्र रुहिल, मनोज कुमार और विजय सोनी ने ठान लिया कि इस बार गांव में चुनाव होने की नौबत ही आने पाए। इस मुहिम में गांव के और युवाओं को जोड़ा। बुजुर्गों के पास बैठे। कुछ लोगों ने आपत्ति जताई। युवाओं ने उनके सवालों पर अपने तर्क रखे। एक-एक वार्ड में बैठकों का दौर चला। धीरे-धीरे चुनावी प्रतिद्वंद्विता कमजोर पड़ने लगी, भाईचारा मजबूत होने लगा। सरपंच और पंच के 5 पद महिलाओं के आरक्षित थे, लेकिन भिवानी राेहिला ने 'ऑल वुमन पंचायत' चुन ली। पंचायत की औसत आयु 35 साल के करीब है। जाट, ब्राह्मण, हरिजन, सुनार, बनिया, लोहार और धानक समुदाय से जुड़े लोगों ने मिलकर अपने गांव की नई छवि पेश की है। 
मनोज कुमार बताते हैं कि जब भी पंचायत चुनाव होते थे, गुट बन जाते थे। पूरे गांव में महीनों तनाव का माहौल बन जाता था। इस बार ऐसा कुछ होने पाए, यही युवाओं की सोच थी। उनकी जिद सही थी, इसलिए बुजुर्गों ने भी साथ दिया। गांव के मास्टर शंकर चौधरी ने बताया कि सिर्फ वार्ड-3 से एक व्यक्ति ने नामांकन भर दिया था, लेकिन बाद में वह भी मान गया। उसने अपना पर्चा वापस ले लिया।

गांव ने बहू-बेटियाें की पंचायत ही नहीं चुनी, बल्कि यहां बच्चियों को पूरा मान-सम्मान दिया जा रहा है।लिंगानुपात को लेकर जब हरियाणा की तस्वीर पूरे देश में धुंधली है, तब भिवानी रोहिला में 1000 लड़कों पर 1066 लड़कियां हैं। 21 वर्षीय सरपंच आशा सबसे पहले सीएम से मिलकर गांव में राजकीय महिला कॉलेज बनाने की मांग रखेंगी। क्योंकि उच्चस्तर की पढ़ाई के लिए गांव की बेटियाें को हिसार जाना पड़ता है। बहुत दिक्कत होती है। स्वच्छता उनका दूसरा मिशन है। एमएससी मैथ पंच सुशीला कहती हैं कि पंचायत के एक-एक पैसे का हिसाब ऑनलाइन होगा। गांव के विकास के साथ महिलाओं के अिधकारों को लेकर प्रयास भी किए जाएंगे। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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