Friday, January 29, 2016

एक जिद्द ये भी: बैंक ने लोन नहीं दिया तो 435 गाँवों में इस महिला ने खुलवा दिए बैंक

बात 2010 की है। बुआई के लिए पैसे नहीं थे। गांव की कुछ महिलाओं के साथ हम बैंक लोन लेने गए। पर उन्होंने मना कर दिया। क्योंकि हमारे पास तो गारंटर थे और ही गिरवी रखने को जमीन-जेवरात। तभी हम लोगों ने सोचा कि कुछ तो करना होगा। हमने गांव की महिलाओं का समूह बनाया। और एक-दूसरे की मदद करने लगे। शुरू में 5-5 रुपए और फिर 10-10 रुपए जमा किए। काम बढ़ा तो ग्रामीण आजीविका मिशन को
भी इसका पता चला। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। थोड़ी मदद वहां से भी मिल गई। फिर हमने समृद्धि स्वायत्त साख सहकारी संस्था बना ली। 2011 में इसका रजिस्ट्रेशन कराया। अब ये फेडरेशन ही हमारा बैंक था। बचत से जो पैसे जमा हुए थे, उससे जरूरतमंदों को लोन देना शुरू किया। महिलाओं को जोड़ने का काम चलता रहा। अब तो 56 हजार महिलाएं संस्था से जुड़ चुकी हैं। 435 गांवों में संस्था की शाखाएं हैं। हमारा फेडरेशन 17 करोड़ रुपए का लोन बांट चुका है। यहां बहुत पढ़े-लिखे लोग नहीं हैं, पर हिसाब-किताब पक्का है। कोई डिफाल्टर भी नहीं है। अभी हमारी कुल जमा पूंजी करीब 12.50 करोड़ रु. है। अब तो ऐसे गांवों में भी हमारी शाखाएं खुल गईं जहां पक्की सड़क है और ठीक से बिजली मिलती है। पर महिलाओं को लोन जरूर मिल जाता है। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
For getting Job-alerts and Education News, join our Facebook Group “EMPLOYMENT BULLETIN” by clicking HERE. Please like our Facebook Page HARSAMACHAR for other important updates from each and every field.