शिक्षा विभाग ने स्कूलों में शिक्षा स्तर को सुधारने के लिए एक नये प्रयोग पर काम करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत प्राध्यापकों व शिक्षकों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जा रही है। विभाग ने आदेश दिये हैं कि अब प्राध्यापक नौवीं व दसवीं और मास्टर छठी व आठवीं को पढ़ाएंगे। इस बाद प्रदेशभर में इस बार दसवीं का प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा परिणाम काफी खराब रहा है। खराब आने की वजह को लेकर शिक्षा विभाग ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी थी। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। जवाब में तकरीबन सभी स्कूल मुखियाओं ने खराब परिणाम आने का कारण स्कूलों में शिक्षकों की कमी बताया। इस समस्या को देखते हुए शिक्षा विभाग कार्यशैली में बदलाव करने जा रहा है। विभाग ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी कर आदेश दिये हैं कि अब सीनियर सेकेंडरी में लगे प्राध्यापक ग्यारहवीं व बारहवीं की कक्षाओं को पढ़ाने के अलावा नौवीं व दसवीं की कक्षाओं को भी पढाएंगे। इसके साथ ही हाई स्कूल के मास्टर अब नौवीं व दसवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने के साथ ही छठी से लेकर आठवीं तक की कक्षाओं को भी पढ़ाएंगे। अगर स्कूल में प्राध्यापक व मास्टर ज्यादा हैं तो उन्हें दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।
जो विषय हैं, वहीं पढ़ाएंगे: अगर प्राध्यापक के पास हंिदूी विषय है तो वह अन्य कक्षा में भी हंिदूी ही पढ़ाएगा। किसी भी प्राध्यापक या मास्टर को कोई दूसरा विषय पढ़ाने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यदि किसी विषय में विशेष रूचि व ज्ञान है तो अलग बात है। वह प्राध्यापक की इच्छा अनुसार तय हो जाएगा कि कौन क्या पढ़ाना चाहता है। यह सभी निर्णय स्कूल मुखियाओं की देखरेख में लिये जाएंगे।
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साभार: जागरण समाचार
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