Friday, January 29, 2016

जज्बा: एक सरकारी स्कूल, 6 साल पहले सरकार करने वाली थी बंद, अब लगती हैं दाखिले के लिए लाइनें

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा सूरियां के प्राइमरी स्कूल को 2008 में सरकार ने बंद करने का फैसला कर लिया था। क्योंिक पूरे स्कूल में पढ़ने के लिए सिर्फ सात छात्र आते थे और टीचर भी नहीं थे। क्योंकि सरकारी की पॉलिसी है कि बच्चे नहीं तो टीचर नहीं। लेकिन इसी स्कूल से पढ़कर निकले और अच्छे पदों पर काम कर रहे ओल्ड स्टूडेंट्स की जिद के कारण आज हालात बदल चुके हैं। उन्होंने सरकार से इस स्कूल को गोद लिया और इसकी साज संभाल का जिम्मा खुद उठाया। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।अब इस स्कूल में 400 से ज्यादा बच्चों को एजुकेशन दी जा रही है। यह हिमाचल का पहला इंिग्लश मीडियम सरकारी स्कूल है। यहां की फीस भी मात्र पांच रुपए महीना रखी गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल पहुंचें। स्कूल में नन्हे-मुन्नों को पढ़ाने के लिए अलग से जूनियर विंग भी शुरू किया गया है। कांगड़ा के प्राइमरी ब्लाॅक एजुकेशन अफसर जोगिंद्र सिंह ने कहा कि हिमाचल में यह अपनी तरह का पहला प्रयोग था, जिसे खूब समर्थन और सफलता मिली है। 
हिमाचल प्रदेश इंडस्ट्री एसोसिएशन के महासचिव संजय गुलेरिया काे जैसे ही पता चला कि जिस प्राइमरी स्कूल में वे पढ़े थे,सरकार उसे बंद करने जा रही है, उन्हें दुख पहुंचा। उन्होंने इसी स्कूल से पढ़े अपने अन्य दोस्तों से बात की। सभी ने िमलकर सरकार से इस स्कूल को गोद ले लिया। स्कूल में बेहतर एजुकेशन सिस्टम डेवलप करने के लिए उन्होंने टॉप प्राइवेट स्कूलों से ज्यादा वेतन पर टीचर हायर किए गए। शर्त रखी गई कि बेहतर रिजल्ट देना होगा और अपने बच्चों को भी इसी स्कूल में पढ़ाना होगा। टीचर्स ने हामी भर दी। आस-पास के लोगों को पता चला कि स्कूल में इंिग्लश मीडियम के टीचर आए हैं तो एडमिशन करवाने वालों की भीड़ लग गई। पहले ही साल 100 बच्चों ने दाखिला लिया। 

संजय गुलेरिया ने बताया कि स्कूल के रिजल्ट से आगे की राह तय होनी थी। अगर रिजल्ट खराब होता तो पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता। इसलिए टीचर्स से लगातार संपर्क रखा गया। बच्चों में कंपीटिशन की भावना पैदा की गई। परिणाम यह रहा कि पहले ही साल स्कूल का रिजल्ट 100% रहा। बच्चे स्कूल में टॉपर होने लगे। अब यहंा एडमिशन के लिए होड़ लगी रहती है। स्कूल में 400 बच्चे एजुकेशन ले रहे हैं। बच्चे बढ़े तो स्कूल की बिल्डिंग अन्य सुविधाएं भी बढ़ गईं। अब सरकार ने भी टीचर लगा दिए हैं। उनके बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं जिससे एजुकेशन का स्तर दिनोंदिन निखर रहा है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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