जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भारत, फ्रांस और अमेरिका तीनों मिलकर पर्यावरण रक्षक की भूमिका निभाएंगे। तीनों देश दुनिया को पर्यावरण बचाने के उपाय सुझाएंगे। इसके लिए तीनों देशों ने मिलकर काम करने का फैसला किया है। गुड़गांव-फरीदाबाद रोड स्थित राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के अंतरिम सचिवालय का उद्घाटन व स्थायी सचिवालय का शिलान्यास फ्रांस के
राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के साथ संयुक्त रूप से करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत, फ्रांस व अमेरिका मिलकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साधन भी विकसित करेंगे। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन सभी व्यवस्थाओं पर ध्यान देंगे जिससे पर्यावरण की रक्षा हो सके। इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन मील का पत्थर साबित होगा। प्रधानमंत्री ने कहा, गत वर्ष गठबंधन बनाने से पहले दो सप्ताह तक पेरिस सम्मेलन में काफी चर्चा की गई। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित कई देशों के प्रमुखों से बातचीत की। इसमें फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने हर स्तर पर भूमिका निभाई। इसके बाद गठबंधन सामने आया है। इसमें वे 122 देश शामिल हुए हैं जिन्हें साल में 300 दिन सूर्य के प्रकाश का लाभ प्राप्त होता है। सभी कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। दुनिया को संदेश देने के लिए भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी विशेष उपस्थिति दर्ज कराएगा। अगले कुछ वर्षो के दौरान अक्षय ऊर्जा से 175 गीगावाट बिजली तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। उल्लेखनीय है कि एक हजार मेगावाट एक गीगावाट के बराबर होता है। फिलहाल पांच हजार मेगावाट से अधिक बिजली सौर ऊर्जा से तैयार करने की व्यवस्था की जा चुकी है।
खत्म हो जाएंगे दुनिया के छोटे-छोटे देश: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि ग्लोबल वार्मिग पर ध्यान नहीं दिया गया तो समुद्र का जलस्तर बढ़ जाएगा। इससे अनेक छोटे-छोटे देश जो समुद्र के बीच में हैं या घिरे हैं, वे खत्म हो जाएंगे। भारत के मुंबई, चेन्नई सहित कई शहरों पर भी समुद्र का जलस्तर बढ़ने पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा। दुनिया को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन बनाया गया है। भारत इसमें विशेष भूमिका निभा रहा है, क्योंकि भारतीय दर्शन में जीवन दान को सबसे पुण्य कार्य माना गया है। ग्लोबल वार्मिग का खतरा कम करना जीवन को बचाना है। मोदी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन का मुख्यालय भारत में होते हुए भी उसी तरह स्वतंत्र रूप से काम करेगा, जिस प्रकार संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित कई संगठन संयुक्त रूप से काम करते हैं। खुशी है कि जिस हरियाणा की धरती ने पूरी दुनिया को गीता का संदेश दिया उसी धरती से पूरी दुनिया को सौर ऊर्जा का संदेश दिया जा सकेगा।
भारत, फ्रांस व अमेरिका मिलकर जलवायु परिवर्तन के खिलाफ साधन विकसित करेंगे। उन सभी व्यवस्थाओं पर ध्यान देंगे जिससे पर्यावरण की रक्षा हो सके। इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन मील का पत्थर साबित होगा।-नरेंद्र मोदी
भारत के ज्ञान ने हमें प्रेरणा दी है। स्मरण कराया है कि हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करना चाहिए। हम सभी को पृथ्वी का संरक्षण करने में सहयोग करना चाहिए। गठबंधन के माध्यम से हम सभी जलवायु न्याय को कार्य रूप में बदलने में समर्थ होंगे। -फ्रांस्वा ओलांद
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साभार: जागरण समाचार
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