देश में सहिष्णुता-असहिष्णुता के मुद्दे पर लंबी बहस हुई। कई लोगों ने कथित असहिष्णुता की बातें कह पुरस्कार वापस किए पर कुछ ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जिनकी अनदेखी हुई। जिसे सही में असहिष्णुता कही जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह घटना वैसे तो नौ महीने पुरानी है पर असहिष्णुता के बारे में बताने को
काफी है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। कोलकाता स्थित एक मदरसे के हेडमास्टर को सिर्फ इस बात के लिए मारा-पीटा गया कि वे छात्रों से राष्ट्रगान गाने का अभ्यास करवा रहे थे। काजी मासूम अख्तर, तालपुकुर मदरसे के हेडमास्टर हैं पर वह मदरसा में पढ़ाने के लिए नहीं जा पा रहे हैं। इसकी फरियाद वह राज्यपाल, मुख्यमंत्री, पुलिस, अल्पसंख्यक आयोग तक कर चुके हैं, लेकिन आज भी वह न्याय के लिए भटक रहे हैं।
यही नहीं उनके खिलाफ फतवा जारी है कि अगर वह कुर्ता-पायजामा और बढ़ी हुई दाढ़ी के साथ मदरसा नहीं जाएंगे तो उन्हें वहां प्रवेश नहीं मिलेगा। न्याय की उम्मीद में अख्तर पिछले कई महीने से दर-दर भटक रहे हैं। अख्तर ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि खुद को प्रगतिशील, देश प्रेमी और आधुनिक विचार का परिचय देने पर उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्होंने मदरसा में राष्ट्रीय गान का अभ्यास करने की पहल की और लड़कियों की कम उम्र में शादी करने का विरोध किया।
इस कारण पिछले साल 26 मार्च को उनके ही धर्म के लोगों ने बेरहमी से उनकी पिटाई कर दी और मदरसा में प्रवेश करने पर रोक लगा दी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि शिक्षक ने इस्लाम की भावना को चोट पहुंचाई है। माकपा नेता व पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला का कहना है कि यह असहिष्णुता नहीं तो क्या है। तृणमूल कांग्रेस सरकार कट्टरपंथियों के समक्ष समर्पण कर चुकी है।
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साभार: जागरण समाचार
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