हरियाणा में जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के परिणाम में अंकों में फेरबदल का आरोप लगाती याचिका पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल की एकल बेंच ने अधूरी जानकारी पर सेंट्रल फॉरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (सीएफएसएल) के डायरेक्टर को कड़ी फटकार लगाई है। बेंच ने पाया है कि सीएफएसएल यह पता लगाने में नाकाम रही है कि अंक सुधारने के बारे में दी जानकारी के मुताबिक विभाग के कंप्यूटरों में कोई प्रक्रिया
है भी थी या नहीं। बेंच ने कहा है यह जानना अत्यंत जरूरी है कि हरियाणा सरकार की प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट को सही जानकारी दी थी या नहीं। याचिका में आरोप था कि उच्च शिक्षा वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अतिरिक्त अंकों की मांग पर जब जोड़ किया गया तो इंटरव्यू के अंकों में से उतने ही अंक काट लिए गए, जबकि प्रोग्रामर ने कहा था कि अंक देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी। दरअसल, लिखित परीक्षा के अंक गलती से इंटरव्यू के अंकों में जुड़ गए थे, लेकिन बाद में यह गलती सुधार ली गई और मेरिट के लिए तैयार किया गया परिणाम सही है। हाईकोर्ट ने कंप्यूटर और डिस्क सील कर सीएफएसएल को जांच का आदेश दिया था, लेकिन सीएफएसएल मुकम्मल जांच नहीं कर पाई कि असल में गलती से अंक इंटरव्यू में जुड़ सकते हैं या नहीं। सीएफएसएल डायरेक्टर ने हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस प्रणाली में प्रोग्रामर ने परिणाम तैयार करने की बात कही है, वह प्रोग्राम उन कंप्यूटरों में नहीं है, जिनका इस्तेमाल परिणाम तैयार करने में हुआ। इसी वजह से लैब में भी सात में से दो हार्ड डिस्क की परख नहीं हो सकी। वैसे रिपोर्ट प्रोग्रामर की ओर से दिए गए डेमो के आधार पर तैयार की गई। प्रोग्रामर ने डेमो दिया कि उन्होंने परिणाम कैसे तैयार किया। सीएफएसएल ने यह भी हाईकोर्ट को बताया कि कंप्यूटर की जिन फाइलों से परिणाम तैयार किया गया, उनका बैकअप डिलीट हो गया है और जो बैकअप मिला, वह एसेस नहीं हो सकता। अब हाईकोर्ट ने सीएफएसएल से कहा है कि जो भी प्रक्रिया अपनानी हो, अपनाई जाए, लेकिन तकनीकी जांच के माध्यम से केवल यह सामने लाया जाए कि प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट में जो जवाब दाखिल किया था, वह सच है या नहीं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके साथ ही सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी गई है। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील मंजीत सिंह ने बेंच के समक्ष तथ्य पेश किया कि प्रोग्रामर ने कहा था कि इंटरव्यू में गलती से जुड़े अंकों के बाद परिणाम तैयार किया गया, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए दिए गए अंक एक समान होने चाहिए थे, जबकि तैयार परिणाम में यह अंक दशमलव में दर्शाए जा रहे हैं। उधर, उच्च शिक्षा के लिए दिए गए अंक दशमलव में नहीं होते यह राउंड फिगर होता है, मसलन दो या पांच न कि दशमलव में। हाईकोर्ट ने इस आपत्ति से जुड़ा दस्तावेज भी सीएफएसएल को दिया है और पुख्ता जांच का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि सीएफएसएल ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया था कि अंकों में कोई गड़बड़ी नहीं है। उस वक्त प्रतीत हो रहा था कि जेबीटी उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन शुक्रवार को नया पेंच सामने आने पर अब बेंच ने भी कहा है कि वह इस मामले में जल्द और ठोस निर्णय लेना चाहती है।
है भी थी या नहीं। बेंच ने कहा है यह जानना अत्यंत जरूरी है कि हरियाणा सरकार की प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट को सही जानकारी दी थी या नहीं। याचिका में आरोप था कि उच्च शिक्षा वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। अतिरिक्त अंकों की मांग पर जब जोड़ किया गया तो इंटरव्यू के अंकों में से उतने ही अंक काट लिए गए, जबकि प्रोग्रामर ने कहा था कि अंक देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई थी। दरअसल, लिखित परीक्षा के अंक गलती से इंटरव्यू के अंकों में जुड़ गए थे, लेकिन बाद में यह गलती सुधार ली गई और मेरिट के लिए तैयार किया गया परिणाम सही है। हाईकोर्ट ने कंप्यूटर और डिस्क सील कर सीएफएसएल को जांच का आदेश दिया था, लेकिन सीएफएसएल मुकम्मल जांच नहीं कर पाई कि असल में गलती से अंक इंटरव्यू में जुड़ सकते हैं या नहीं। सीएफएसएल डायरेक्टर ने हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट में बताया कि जिस प्रणाली में प्रोग्रामर ने परिणाम तैयार करने की बात कही है, वह प्रोग्राम उन कंप्यूटरों में नहीं है, जिनका इस्तेमाल परिणाम तैयार करने में हुआ। इसी वजह से लैब में भी सात में से दो हार्ड डिस्क की परख नहीं हो सकी। वैसे रिपोर्ट प्रोग्रामर की ओर से दिए गए डेमो के आधार पर तैयार की गई। प्रोग्रामर ने डेमो दिया कि उन्होंने परिणाम कैसे तैयार किया। सीएफएसएल ने यह भी हाईकोर्ट को बताया कि कंप्यूटर की जिन फाइलों से परिणाम तैयार किया गया, उनका बैकअप डिलीट हो गया है और जो बैकअप मिला, वह एसेस नहीं हो सकता। अब हाईकोर्ट ने सीएफएसएल से कहा है कि जो भी प्रक्रिया अपनानी हो, अपनाई जाए, लेकिन तकनीकी जांच के माध्यम से केवल यह सामने लाया जाए कि प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट में जो जवाब दाखिल किया था, वह सच है या नहीं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। इसके साथ ही सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी गई है। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील मंजीत सिंह ने बेंच के समक्ष तथ्य पेश किया कि प्रोग्रामर ने कहा था कि इंटरव्यू में गलती से जुड़े अंकों के बाद परिणाम तैयार किया गया, लेकिन उच्च शिक्षा के लिए दिए गए अंक एक समान होने चाहिए थे, जबकि तैयार परिणाम में यह अंक दशमलव में दर्शाए जा रहे हैं। उधर, उच्च शिक्षा के लिए दिए गए अंक दशमलव में नहीं होते यह राउंड फिगर होता है, मसलन दो या पांच न कि दशमलव में। हाईकोर्ट ने इस आपत्ति से जुड़ा दस्तावेज भी सीएफएसएल को दिया है और पुख्ता जांच का आदेश दिया है। उल्लेखनीय है कि सीएफएसएल ने बुधवार को हाईकोर्ट को बताया था कि अंकों में कोई गड़बड़ी नहीं है। उस वक्त प्रतीत हो रहा था कि जेबीटी उम्मीदवारों को बड़ी राहत मिल सकती है, लेकिन शुक्रवार को नया पेंच सामने आने पर अब बेंच ने भी कहा है कि वह इस मामले में जल्द और ठोस निर्णय लेना चाहती है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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