अब राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने वाले सभी भारी व्यावसायिक वाहनों को टोल टैक्स के अलावा पर्यावरण शुल्क भी जमा करना होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने दिल्ली-एनसीआर में बद से बदतर होती आबोहवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए यह आदेश दिया है। ग्रीन पैनल ने कहा कि सोनीपत की तरफ से दिल्ली के लिए या वाया दिल्ली दूसरी जगहों पर जाने वाले भारी व्यावसायिक वाहनों से टोल टैक्स के अलावा पर्यावरण शुल्क वसूला जाए। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में विभिन्न प्रवेश मार्गों से आने वाले खासतौर से भारी डीजल वाहन वायु प्रदूषण की मुख्य वजह हैं। दिल्ली में करीब 66 हजार भारी व्यावसायिक वाहन रोजाना प्रवेश करते हैं। टोल टैक्स कम होने के कारण भारी वाहन वैकल्पिक मार्ग को चुनने के बजाए दिल्ली के रास्ते को चुनते हैं। जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने बुधवार को मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट महिला अधिवक्ता संघ की ओर से एडवोकेट भक्ति परसीजा सेठी और एडवोकेट ममता ने एनजीटी से मांग की थी कि दिल्ली-एनसीआर में दिनोंदिन भारी डीजल वाहनों के कारण आबोहवा बिगड़ रही है। इसके बाद एनजीटी ने यह आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अक्तूबर को होगी।
- 2 एक्सेल वाहनों से 700 रुपये
- 3 एक्सेल से 1000 रुपये
- 4 एक्सेल से 5000 रुपये पर्यावरण शुल्क वसूला जाएगा।
इसे दिल्ली नगर निगम वसूलेगी और यह शुल्क दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को दिया जाएगा। एनजीटी ने कहा है कि पर्यावरण शुल्क के मद में वसूला गया पैसा सफाई के लिए इस्तेमाल किया जाए।
तो चुनना होगा पानीपत से वैकल्पिक मार्ग: ग्रीन पैनल ने यह भी कहा कि पानीपत की तरफ से आने वाले ऐसे भारी वाहन जिनकी अंतिम मंजिल दिल्ली नहीं है उन्हें पानीपत से ही डायवर्ट कर दिया जाए। मसलन उन्हें पानीपत के बाद एनएच 71ए और एनएच 71 बावल और हरियाणा की तरफ मोड़ दिया जाए। यदि ट्रक इस वैकल्पिक मार्ग को नहीं चुन रहे हैं तो वह राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश नहीं करने चाहिए। ऐसे ट्रकों को वापस पानीपत के लिए लौटा दिया जाए।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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