Friday, September 25, 2015

फर्जीवाड़ा कर नौकरी कर रहे पांच जेबीटी को तीन-तीन साल कैद

हिसार के एडीजे चंद्रशेखर की कोर्ट ने फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र लेकर वर्ष 2003 में हरियाणा में भर्ती हुए पांच अध्यापकों को तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। कोर्ट ने पांचों को दस-दस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने पर उन्हें अतिरिक्त सजा काटनी होगी। कोर्ट ने इस मामले में 22 सितंबर को पांच जेबीटी को दोषी करार दिया था। इस मामले में सर्टिफिकेट बनाकर देने वाले तीन डॉक्टरों को कोर्ट ने बरी कर दिया था। इसमें तत्कालीन सिविल अस्पताल के डॉक्टर दयानंद बागड़ी व भिवानी अस्पताल से डॉ. एसके आनंद और डॉ. पीके सराया शामिल हैं। कोर्ट ने अब भिवानी जिला के कान्हड़ा गांव निवासी महिपाल और बलवान, राखीगढ़ी निवासी राजकुमार व खाबड़ा निवासी शक्ति सिंह व भिवानी के घसौला निवासी अजय को दोषी माना था। कोर्ट में चले अभियोग के अनुसार वर्ष 2003 में फर्जी विकलांग प्रमाण पत्र के सहारे कुछ टीचर्स ने नौकरी हासिल कर ली। मामले की शिकायत विजिलेंस तक पहुंच गई। 21 नवंबर 2003 को राज्य चौकसी ब्यूरो के निदेशक के जांच के आदेश दिए। कोर्ट ने वीरवार को फैसला सुनाते हुए आईपीसी की धारा 420 में 3 साल की कैद और पांच हजार रुपये जुर्माना, 468 में तीन साल की कैद व चार हजार रुपये जुर्माना और धारा 471 में 1 साल की कैद व 1 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। सभी धाराओं में सुनाई गई सजा एक साथ चलेगी।
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साभारअमर उजाला समाचार 

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