Wednesday, September 23, 2015

सोशल मीडिया पर पहरा बिठाने की नीति विरोध के बाद वापस

व्हाट्स ऐप सहित सभी तरह के मोबाइल और सोशल मीडिया मैसेज पर पहरा बिठाने की योजना से सरकार पीछे हट गई है। भारी विरोध के बाद सरकार ने मंगलवार को आनन-फानन में विवादित इनक्रीप्शन पॉलिसी के मसौदे को वापस ले लिया। मसौदा पॉलिसी में टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों के लिए ईमेल, व्हाट्स ऐप, फेसबुक और ट्विटर सहित सभी सोशल मीडिया मैसेज को 90 दिनों तक सुरक्षित रखने को अनिवार्य बना दिया गया था। सोमवार को ही जारी इस मसौदा पॉलिसी के खिलाफ 24 घंटे में ही सोशल मीडिया में भारी विरोध होने लगा। विपक्षी दलों ने भी विपक्ष पर निजता के अधिकार का हनन का आरोप लगाया। कैबिनेट की बैठक के बाद दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि इस नीति के कुछ विवादित मुद्दों पर फिर से विचार करने बाद मंत्रालय की वेबसाइट पर संशोधित मसौदा पॉलिसी डाली जाएगी। सोमवार को जारी मसौदा इंक्रीप्शन पॉलिसी में टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों के लिए सभी तरह के इंक्रीप्टेड डाटा को 90 दिनों तक सुरक्षित रखने और सरकारी एजेंसियों की मांग पर उसे टेक्स्ट फॉर्म में उपलब्ध करवाने की बात कही गई थी। ऐसा नहीं करने पर कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की भी बात थी। इस मसौदा पॉलिसी की सोशल मीडिया के साथ-साथ विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। मसौदा नीति को जनता की निजता के अधिकार के लिए खतरा बताया गया। भारी विरोध को देखते हुए मंगलवार सुबह में ही बैकफुट पर आ गई सरकार ने स्पष्ट किया कि व्हाट्स ऐप सहित सोशल मीडिया साइट, फेसबुक और ट्विटर, पेमेंट गेटवे, ई-कॉमर्स और पासवर्ड आधारित ट्रांजेक्शन को इससे अलग रखा गया है। इसके बाद भी विरोध जारी रहने पर सरकार ने पूरी मसौदा नीति को ही वापस लेने का फैसला किया। रविशंकर प्रसाद ने जोर देकर कहा कि इंक्रीप्शन पॉलिसी के तहत आम यूजर्स नहीं आएंगे। नई मसौदा नीति में यह पूरी तरह से स्पष्ट होगा कि किस सेवा पर यह लागू होगी और किस पर नहीं।
सफाई देने सामने आए खुद दूरसंचार मंत्री: दूरसंचार मंत्री ने कहा कि मसौदा नेशनल इंक्रीप्शन पॉलिसी सरकार का अंतिम रुख नहीं था और जनता की टिप्पणी और सुझाव के लिए इसे इंटरनेट पर डाला गया था। उन्होंने कहा कि वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह केवल मसौदा नीति थी न कि सरकारी रुख, लेकिन हमने महसूस किया समाज के कुछ प्रबुद्ध लोगों ने कुछ चिंता जताई है। उसके बाद मैंने खुद मसौदा नीति के कुछ बिंदुओं पर विचार किया और पाया कि उससे कुछ गलतफहमियां बन रही हैं। इसके बाद मैंने इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीक विभाग को मसौदा नीति को वापस लेने और ठीक तरीके से काम करने के बाद फिर से इंटरनेट पर डालने को कहा। 
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com

साभारअमर उजाला समाचार 

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