Saturday, September 26, 2015

नई शिक्षा नीति पर चर्चा: फेल नहीं करने की नीति का जबरदस्त विरोध

शिक्षा का अधिकार कानून के तहत यूपीए सरकार की ओर से पहली से आठवीं कक्षा तक किसी बच्चे को फेल नहीं करने की नीति को शिक्षाविदों ने सिरे से नकार दिया है। शिक्षाविदों ने परीक्षा परिणाम में ग्रेडिंग सिस्टम को भी गलत ठहराया है। पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित पंचायत भवन में शुक्रवार को केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से नई शिक्षा नीति पर विचार के लिए आयोजित की गई राज्यस्तरीय संगोष्ठी में शामिल सभी शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों और शिक्षा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि फेल नहीं किए जाने की नीति के कारण बच्चे पढ़ाई से विमुख हो रहे हैं और उनमें कुछ सीखने की भावना भी खत्म हो रही है। इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाने वाले अध्यापक भी लापरवाह होते जा रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित इस संगोष्ठी में नई शिक्षा नीति पर विचार के लिए 13 थीम पर विचार-विमर्श करने के बाद जो नतीजे सामने आए, उन्हें संगोष्ठी के समापन पर उपस्थित मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंपा गया। राज्य सरकार इस निष्कर्ष को केंद्र सरकार को भेजेगी। संगोष्ठी के दौरान जिन 13 थीम पर विचार-विमर्श हुआ, उनके तहत एलीमेंटरी शिक्षा में सीखने के परिणाम सुनिश्चित करने, सेकेंडरी व सीनियर सेकेंडरी शिक्षा में विस्तार, वोकेशनल शिक्षा को मजबूत बनाने, स्कूल एग्जामिनेशन सिस्टम में सुधार करने, अच्छे टीचर तैयार करने के लिए अध्यापक शिक्षा में सुधार करने सहित महिला, आरक्षित वर्ग, तकनीकी एवं वैज्ञानिक शिक्षा के विषय प्रमुख रहे। विभिन्न थीमों पर मंथन के बाद यह निष्कर्ष निकला कि प्रदेश के स्कूलों में अध्यापकों की कमी, उनसे अध्यापन से इतर काम लिया जाना, निजी स्कूलों की भांति सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी व नर्सरी कक्षाओं का प्रावधान नहीं होना और विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों का भी शिक्षा के प्रति रुचि नहीं दिखाना गंभीर मुद्दे हैं। 
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साभारअमर उजाला समाचार 

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