Friday, September 25, 2015

जयपुर की महारानी गायत्री देवी थीं दुनिया की सबसे सुन्दर महिलाओं में शुमार

आखिरकार, छह साल की कानूनी लड़ाई के बाद दुनिया की सबसे खूबसूरत महिलाओं में शामिल रहीं जयपुर की महारानी गायत्री देवी के राजपरिवार से जुड़े संपत्ति विवाद में बुधवार को अहम फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राजमाता गायत्री देवी के पोते-पोतियों देवराज और लालित्या को उनके पिता जगत सिंह के शेयरों का हकदार माना है। गौरतलब है कि वोग मैगजीन ने उन्हें विश्व की 10 सबसे सुंदर महिला में से एक माना था।
इन संपत्तियों के शेयरों में मिलेगा देवराज-लालित्या को हक: देवराज के वकील अभिषेक राव का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जयमहल होटल्स, एसएमएस इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन व सवाई माधोपुर स्थित संपत्तियों में देवराज व लालित्या को हक मिलेगा।
कौन थीं गायत्री देवी: गायत्री देवी महाराजा सवाई मानसिंह की तीसरी पत्नी थीं। 21 अगस्त 1912 को जन्मे महाराजा मानसिंह की पहली शादी 1924 में जोधपुर के महाराजा सुमेर सिंह की बहन मरुधर कंवर से हुई थी। उस समय वो केवल 12 साल के थे। मानसिंह की दूसरी शादी उनकी पहली पत्नी की भतीजी किशोर कंवर से 1932 में हुई। इसके बाद 1940 में उन्होंने गायत्री देवी से शादी की। जब गायत्री देवी का प्रेमविवाह हुआ तो वो 21 साल की थीं। दरअसल गायत्री देवी से उनकी मुलाकात पोलो ग्राउंड में हुई थी।
गायत्री देवी की बहू का थाईलैंड राजघराने से रिश्ता: गायत्री देवी के बेटे जगत सिंह ने थाईलैंड की राजकुमारी प्रियनंदना रंगसित से शादी की थी। देवराज और लालित्या उन्हीं की संतान हैं। जगत सिंह और प्रियनंदना के रिश्ते में खटास आने से दोनों अलग-अलग हो गए। राजकुमारी प्रियनंदना अपने बेटे देवराज और बेटी लालित्या को लेकर थाईलैंड लौट गईं। जगत सिंह की भी 1997 में मौत हो गई।
विवाद की यह कहानी 18 साल पुरानी:
  • जगत सिंह ने अपनी संपत्ति जय महल को होटल में बदल दिया था। इसमें मानसिंह द्वितीय के दूसरी रानी के बेटे पृथ्वी के साथ पार्टनरशिप की।
  • पार्टनरशिप में जगत सिंह के शेयर 99% और पृथ्वी सिंह व उनके बेटे के शेयर 1% थे। 1997 में जगत की मौत के बाद शेयर विवाद शुरू हुआ।
  • पृथ्वी सिंह ने जगत सिंह को 6%और बाकी शेयर खुद और अपने बेटे के नाम कर लिए। देवराज ने गायत्री देवी की मृत्यु के बाद हक मांगा तो पृथ्वी सिंह ने सक्सेशन सर्टिफिकेट लाने को कहा।
  • देवराज ने 2009 में कंपनी लॉ बोर्ड में दावा किया। कंपनी लॉ बोर्ड ने 2011 में फैसला पृथ्वीराज के पक्ष में दिया। देवराज दिल्ली हाईकोर्ट गए। 
  • दिसंबर 2012 को दिल्ली हाईकोर्ट ने देवराज-लालित्या के पक्ष में फैसला दिया था। - जैसा देवराज के वकील ने बताया।
मानसिंह के नेतृत्व में भारत पहली बार जीता था पोलो कप: जयपुर के अंतिम महाराजा सवाई मानसिंह पोलो के बेहतरीन खिलाड़ी थे। 1958 में उनके नेतृत्व में भारत ने पोलो में वर्ल्ड का गोल्ड मेडल जीता था। यही नहीं उनका निधन भी पोलो खेलते समय ही हुआ था। उस समय उनकी उम्र सिर्फ 58 साल थी।
गायत्री देवी से जुड़े हैं ये संपत्ति विवाद: 
  • लिलीपूल पर कब्जे मामले में कोर्ट ने देवराज को पाबंद कर रखा है कि वे इस संपत्ति को न ट्रांसफर करें, न बेचें।
  • देवराज-लालित्या ने गायत्री देवी की वसीयत के प्रोबेट प्राप्त करने का दावा कर रखा है।
  • पृथ्वीराज व उर्वशी ने एडीजे दो कोर्ट में गायत्री देवी की वसीयत को भी चुनौती दे रखी है। 
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साभारभास्कर समाचार 
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