नकारात्मक विचारों से अकेले न जूझें इससे निराशा बढ़ती है। ऐसी बातों को मित्रों-परिजनो के साथ साझा करें।जिंदगी के संघर्षों से जूझते हुए कभी-कभी अहसास होता है, जैसे जीवन की इस रफ्तार में सब कुछ तेजी से निकल रहा है और हम इस रफ्तार से तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं। इस प्रकार की छोटी-छोटी उलझनें कुछ इस कदर परेशान करने लगती हैं, मानों जिंदगी की गाड़ी हमारे नियंत्रण से बाहर हो रही है। ऐसी फीलिंग होने पर अक्सर लोग एकांत में रहना पसंद करते हैं और अपने चिंतन-मनन से ही इस समस्या का समाधान ढूंढते हैं। लेकिन, ज्यादा दिनों तक इस निराशा भरे चिंतन में रहने से आप अवसाद का शिकार हो सकते हैं। प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता और लेखक शिव खेड़ा के मुताबिक इस प्रकार की नकारात्मक बातों पर कभी अकेले चिंतन नहीं करना चाहिए। जब भी नकारात्मक विचार मन पर हावी हों, तब उनसे निपटने के लिए अपने मित्रों-परिजनों की राय लें। उनके साथ समय बिताएं इसके अलावा इस प्रकार की नकारात्मक सोच से उबरने के लिए ऐसी प्रेरक किताबों का सहारा लें, जो आपके कमजोर हो चुके मनोबल को बढ़ाएं। नकारात्मक सोच मन में तब घर करती है, जब आप बीती बातों को ज्यादा सोचते हैं। खुद को सशक्त रखने के लिए वर्तमान में जिएं और आने वाले अवसरों का लाभ उठाने के लिए खुद को तैयार रखें। खुद को इतना सशक्त बनाएं कि निराशाजनक बातें आपके मस्तिष्क की एकाग्रता को भंग न कर सकें। सकारात्मकता बनाए रखने के लिए अपने व्यक्तित्व को निखारें और अतीत की गलतियों पर सोचने के बजाय भविष्य की रणनीति तैयार करें। यदि आप धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, तो आध्यात्मिक पुस्तकें भी मनोबल बढ़ाने में मददगार साबित हो सकती हैं। इसके अलावा योग और ध्यान का अभ्यास आपकी सकारात्मक ऊर्जा और रचनात्मकता को बढ़ाने में कारगर साबित होगा।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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