Monday, September 21, 2015

बीएससी बायोटेक के अभ्यर्थियों ने डाली याचिका, 1919 टीजीटी की भर्ती पर हाई कोर्ट की रोक

बेसिक साइंस विषय पढ़ाने के लिए बीएससी बायोटेक्नोलॉजी डिग्री धारकों को अयोग्य घोषित करने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 1919 टीजीटी शिक्षकों की नियुक्ति पर अगले आदेशों तक रोक लगा दी है। रेनू व अन्य की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया था कि हरियाणा सरकार द्वारा शिक्षकों की नियुक्तिके लिए जारी नियम गलत हैं। उन्होंने
बीएससी की डिग्री बायो टेक्नोलॉजी विषय के साथ की थी। सरकार द्वारा बेसिक साइंस विषय के शिक्षकों के पद भरने के लिए जो विज्ञापन जारी किया गया है उसके अनुरूप साइंस विषय के साथ गणित को अनिवार्य रखा गया है। उनके पास बॉयोटेक्नोलॉजी में बीएससी की डिग्री है। बेसिक साइंस पढ़ाने के लिए बीएससी वाले आवेदक कैसे आयोग्य हो सकते हैं और यदि ऐसा है तो बीएससी बॉयोटेक्नोलॉजी को साइंस विषय के तौर पर क्यों आरंभ किया गया। याची ने कहा कि सरकार के इस कदम से बीएससी बॉयोटेक्नोलॉजी करने वाले हजारों आवेदक अयोग्य हो गए हैं। इस पर हाईकोर्ट के नोटिस के जवाब में विशेष सचिव ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि न तो किसी केंद्रीय विद्यालय में बायोटेक्नोलोजी वाले आवेदन के लिए योग्य हैं और न ही नवोदय विद्यालयों में। ऐसे में हरियाणा सरकार का विज्ञापन सही है। हाईकोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए विशेषज्ञों की कमेटी बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट के आदेशों के अनुरूप सरकार ने बताया कि कमेटी गठित कर दी गई है। इस पर हाईकोर्ट ने याचिका को छह माह के लिए एडमिट कर लिया। साथ ही, आदेश दिया कि सरकार की ओर से 28 जून को जारी विज्ञापन के अनुरूप होने वाली 1919 पदों की भर्ती में नियुक्तियां अगले आदेशों तक न की जाएं। 
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साभारजागरण समाचार 

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