Saturday, September 26, 2015

नई शिक्षा नीति में धर्म को भी जोड़ा जाएगा: सीएम

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शिक्षा के साथ संस्कारों को जोड़ने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति में गीता सहित सभी धर्मों के विचारों को समाहित किया जाएगा। शुक्रवार को पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित किसान भवन में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तत्वावधान में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित नई शिक्षा नीति राज्य स्तरीय परामर्श संगोष्ठी के समापन अवसर पर उपस्थित शिक्षाविदों, गैर सरकारी संगठनों व शिक्षा विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने संस्कारी शिक्षा नीति बनाने की पहल की है, जिस पर सबकी संतुष्टि है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कारों में कर्तव्य, निष्ठा, समर्पित और त्याग की भावना होती है जबकि पाश्चात्य संस्कृति में अधिकार प्रधान संस्कार होते हैं। उन्होंने कहा कि कर्म के सिद्धांत को महत्ता दी गई है, गीता में भी इसका वर्णन किया गया है, कर्म करते जाएं, फल की इच्छा न करें। उन्होंने कहा कि सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया: अर्थात दूसरों की भलाई करना भारतीय संस्कृति का आरंभ से मूलमंत्र रहा है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 68 वर्षों बाद पहली बार हुआ है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए जनमानस की भागीदार निचले स्तर से आरंभ की गई है, जबकि पहले सरकार दिल्ली में नीति निर्धारित कर गांव तक पहुंचाती थी। इस बार गांव में ग्राम सभाओं की बैठकों में, खंड स्तर पर, जिला स्तर पर, शहरी स्थानीय निकाय पर अब राज्य स्तर पर परामर्श बैठक आयोजित कर शिक्षाविदों व अन्य व्यक्तियों से सुझाव आमंत्रित किए गए है, जिन्हें संकलित कर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने इतने कम समय में नीति का मसौदा तैयार करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की विशेषकर अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन, निदेशक एमएल कौशिक व रोहताश सिंह खरब व उनकी टीम के अन्य सदस्यों की प्रशंसा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नई शिक्षा नीति पर तैयार किए गए पोस्टर का विमोचन भी किया। इस मौके पर शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने बताया कि इस बैठक में शिक्षाविद, गैर सरकारी संगठन, जिला शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी इत्यादि 155 व्यक्तियों ने शिक्षा नीति के 13 थीम पर अपने-अपने निष्कर्ष व सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि 20 वर्षों में शिक्षा के व्यवसायीकरण व व्यापारीकरण के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरा है और इसे हमें एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया है और इसमें सुधार के अथक प्रयास किए जाएंगे।
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साभारअमर उजाला समाचार 

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