साभार: मैनेजमेंट फंडा (एन. रघुरामन)
स्टोरी 1: जनरल पोस्ट ऑफिस (जीपीओ) और कोर्ट के बाहर टाइपिस्ट का होना कोई असामान्य बात नहीं है। गांव के लोग जो अपनी ही भाषा पढ़ना-लिखना नहीं जानते हैं, उनकी मदद कर वे अपनी आजीविका चलाते हैं। लखनऊ जीपीओ के बाहर पिछले 35 साल से काम कर रहे 65 साल के कृष्ण कुमार अपने रोजमर्रा के काम में व्यस्त थे। सभी उन्हें ऐसे सरल और विश्वसनीय व्यक्ति के रूप में जानते हैं, जो पढ़ना-लिखना नहीं जानने
वालों की मदद करते हैं। पिछले शनिवार को एक 'सिक्यूरिटी मूवमेंट' के बहाने सचिवालय पुलिस चौकी के प्रभारी सब इंस्पेक्टर प्रदीप कुमार ने कृष्ण कुमार को जगह खाली करने को कहा। कुमार और कृष्ण की उम्र में बड़ा अंतर था। उम्र अधिक होने के कारण कृष्ण कुमार को अपना सामान समेटने में समय लग रहा था, लेकिन युवा पुलिसकर्मी इंतजार करने को तैयार नहीं था। वह बेसब्री से उन्हें सामान समेटते हुए देख रहा था और आखिरकार उसने अपना आपा खो दिया। बुजुर्ग ने कुछ समय देने कि गुजारिश की, लेकिन उसे अनसुना कर दिया गया। सब इंस्पेक्टर ने उसके टाइपराइटर को तहस-नहस कर दिया। उसने उसे जूतों तले रौंद दिया। वह इतना ज्यादा गुस्से में था कि यह भी नहीं देखा कि आस-पास मौजूद लोग उसके इस 'बहादुरी या बुजदिली' (जो भी आप इसे कहना चाहें) के काम को मोबाइल में शूट कर रहे हैं। इसके पहले कि मामला शांत होता यह वीडियो वायरल हो गया। पुलिसकर्मी ने सोशल मीडिया की ताकत को कम आंका था। खबर वायरल हो गई और दुर्भाग्यवश ऐसी जगह तक पहुंच गई, जिसे पुलिस पसंद नहीं करती। इसका सीधा असर यह हुआ कि लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र के उस सब इंस्पेक्टर को तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। यह आदेश उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एसआई को बुजुर्ग व्यक्ति का टाइपराइटर तोड़ते देखने के बाद दिया था। मुख्यमंत्री ने तुरंत कृष्ण कुमार को नया टाइपराइटर उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया।
स्टोरी 2: इसके ठीक उलट उदार व्यवहार दर्शाते हुए नागपुर की एक आठ साल की लड़की राशिका जोशी ने ऐसा कुछ किया कि कई बड़ों को भी जीवन के मूल उद्देश्य पर विचार करने के लिए मजबूर करेगा। अपनी उम्र के कई बच्चों की तरह राशिका भी बॉलिवुड स्टार आमिर खान की फैन है। एक स्थानीय अखबार में जब उसने अपने फेवरेट एक्टर का फोटो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंंद्र फडणवीस के साथ देखा तो उसने अपने पिता से पूछा कि अभिनेता का राजनीति से क्या संबंध है। पिता ने उसे समझाया कि वह राहत कोष के लिए चेक दे रहे हैं, जो महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सूखे के कारण अपनी फसल खो चुके किसानों की मदद के लिए है।
मासूम बच्ची ने फिर अपने पिता से पूछा कि अगर वह भी इसी तरह डोनेशन देगी तो क्या उसका भी फोटो खींचा जाएगा। बेटी को प्रोत्साहित करने के लिए पिता कहा, 'हां क्यों नहीं'। उसी समय लड़की ने तय कर लिया कि वह अपने पिगी बैंक के सारे पैसे सूखे से प्रभावित किसानों के लिए दान कर देगी। लखनऊ की घटना के ठीक एक सप्ताह बाद शनिवार को अपने पड़ोसियों के साथ लड़की मुख्यमंत्री के नागपुर स्थित घर पर पहुंची और एक बड़े उद्देश्य के लिए अपने खास पिगी बैंक को मुख्यमंत्री को सौंप दिया। बाद में मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह राशिका के इस काम से बहुत प्रभावित हुए हैं और उसके पिगी बैंक की बचत निश्चित रूप से किसानों तक पहुंचेगी और उनकी मदद करेगी, भले ही यह राशि कितनी ही छोटी क्यों हो। जैसा कि वादा था, फोटोग्राफ लिया गया और छोटी बच्ची की यह फोटो वायरल हो गई।
फंडा यह है कि अच्छाईऔर बुराई दोनों हर इंसान में होती है। यह निर्भर करता है कि आप कहां अपनी ऊर्जा लगाते हैं। आप खुद में बचपन से ही जितना अच्छी आदतों को सींचेंगे उतने ही उम्दा आप इंसान बनेंगे।
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साभार: भास्कर समाचार
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