Friday, September 25, 2015

जननायक चौधरी देवी लाल जी के 101वें जन्मदिवस पर जानिए उनके परिवार के बारे में

पूर्व उपप्रधानमंत्री व हरियाणा के मुख्यमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल का 25 सितंबर को जन्मदिन है। इस मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उनसे और उनसे जुड़े परिवार के बारे में। चौधरी देवी लाल का जन्म, 25 सितंबर, 1914 को हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम चौधरी लेखराम, मां का नाम शुंगा देवी और पत्नी का नाम हरखी देवी है। चौधरी देवी लाल ने अपने स्कूल की दसवीं की पढ़ाई छोड़कर 1929 से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। ताऊ देवी लाल हरियाणा के लोकप्रिय नेताओं में से एक थे, इन्हें हरियाणा का निर्माता भी कहा जाता है। ताऊ देवी लाल के बेटे ओम प्रकाश चौटाला भी राज्य के सीएम रह चुके हैं। ओम प्रकाश चौटाला की भी पढ़ाई उनके होमटाउन में ही हुई। आज देवीलाल की राजनीतिक विरासत के दो वारिस उनके पुत्र ओमप्रकाश चौटाला और पोते अजय सिंह चौटाला टीचर भर्ती घोटाले में दोषी साबित होने के कारण तिहाड़ जेल में बंद हैं। एक वक्त ऐसा भी था जब
1989 के आम चुनावों में देवीलाल ने राजस्थान के सीकर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ को मात दी थी।
पूर्व प्रधानमंत्री एवं हरियाणा के मुख्यमंत्री स्व. चौधरी देवीलाल का 25 सितंबर को जन्मदिन है। इन्हें हरियाणा का निर्माता भी कहा जाता है। 1989 में जनता दल की सरकार बनी और गांधी परिवार की सत्ता से दूर रखने के लिए उन्होंने सर्वसम्मति से देश का प्रधानमंत्री चुन लिया गया। जुबान के धनी चौधरी देवीलाल ने अपना वचन निभाते हुए अपनी जगह प्रधानमंत्री पद वीपी सिंह को दे दिया। 1987 में हरियाणा का दूसरी बार मुख्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने देशभर के विपक्षी दलों को कांग्रेस के खिलाफ एक मंच पर इकट्ठा किया। 1989 में जनता दल की सरकार बनी और इसके बनने में प्रमुख भूमिका इन्होंने ही निभाई।लोकसभा में महज 10 प्रतिनिधि भेजने वाले हरियाणा के नेता चौधरी देवीलाल अकेले नेता थे जिनसे देश राजनीति प्रभावित थी। देवीलाल के बारे में माना जाता है कि उन्होंने स्वयं ही यह पद स्वीकार नहीं किया। बताया जाता है कि उस दौरान चुनावी प्रक्रिया के बाद वीपी सिंह और उनके बीच कुछ ऐसा हुआ था कि उन्होंने वीपी सिंह से वादा किया था कि प्रधानमंत्री उन्हीं को बनाया जाएगा। देवीलाल संसदीय दल के नेता भी चुन लिए गए थे, पर बड़ी ही नाटकीयता से उन्होंने बैठक में कहा कि उनकी जगह वीपी सिंह प्रधानमंत्री बनेंगे। 
गांव वालों के साथ पीते थे हुक्का: 1956 में तत्कालीन संयुक्त पंजाब में मुख्य संसदीय सचिव भी रहे और हरियाणा बनने से पूर्व संयुक्त पंजाब की विधानसभा में उपेक्षित हरियाणा के विकास के लिए संघर्ष किया। इसका परिणाम था कि सन् 1966 में हरियाणा का अलग राज्य के रूप में गठन हुआ। देवीलाल किसानों से मिलने गांव-गांव और चौपालों तक जाते थे। इसीलिए लोग उन्हें ताऊ कहने लगे। लोगों के बीच गांव में चारपाई पर बैठकर हुक्का पीते-पीते ही वे जन समस्याएं सुनते थे और अधिकांश का मौके पर ही निराकरण कर देते थे।
इमरजेंसी के दौरान पिता-पुत्र ने एक साथ काटी जेल: इमरजेंसी के समय चौधरी देवीलाल व उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला को 19 महीने जेल में रखा गया। इमरजेंसी के खत्म होेने के बाद देश में जनता पार्टी का शासन आया और 21 जून, 1977 को वे पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। 27 जून 1979 तक इस पद पर रहे। दूसरी बार 1987 में वे फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।





चौथी पीढ़ी भी संभाल रही राजनीतिक विरासत: चौटाला परिवार की चौथी पीढ़ी भी राजनीतिक विरासत संभाल रही है। टीचर भर्ती घोटाले के आरोप में तिहाड़ जेल में बंद अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला भी हिसार संसदीय क्षेत्र से सांसद है और 16वीं लोकसभा चुनाव में उनके नाम सबसे युवा सांसद होने का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज है। दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला डबवाली सीट से विधायक है, वहीं ओमप्रकाश चौटाला के दूसरे बेटे अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला ने भी इस बार पंचायत चुनाव में नामांकन भरा है। 
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साभारभास्कर समाचार 
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