हरियाणा में पंचायत चुनाव में अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के मसले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने सोमवार को सवाल किया कि जब सांसद और विधायक के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है तो फिर सरपंच के लिए क्यों। इसके साथ ही कोर्ट ने आजादी के 67 साल बाद भी बड़ी संख्या में लोगों के अशिक्षित होने पर चिंता जताई। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता पर रुख स्पष्ट करने का निर्देश देते हुए हुए सुनवाई मंगलवार तक टाल दी है। ये निर्देश सोमवार को न्यायमूर्ति जे.
चेल्मेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता व अन्य शर्ते लगाए जाने के मामले में सुनवाई के दौरान दिये। सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता व अन्य शर्ते लगाने वाले हरियाणा पंचायती राज संशोधन कानून को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने 17 सितंबर को संशोधित कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अब हरियाणा सरकार ने रोक हटाने की मांग की है जिस पर सुनवाई हो रही है। सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट के रोक आदेश के बाद अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। पहले चरण के मतदान के लिए शुरूआती दो दिन नए कानून से नामांकन आए बाकी तीन दिन मिले जुले आवेदन आए। रोहतगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती। रोहतगी ने कहा कि नया कानून प्रगति की ओर ले जाने के लिए लाया गया है। इस मसले पर हाईकोर्ट में दो याचिकाएं लंबित हैं। हाईकोर्ट ने रोक नहीं लगाई थी बल्कि कहा था कि चुनाव के नतीजे कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेंगे। इन दलीलों पर कोर्ट ने सवाल किया कि जब सांसद और विधायक के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है तो फिर सरपंच के लिए क्यों। रोहतगी ने कहा कि पंचायत का अधिकार क्षेत्र सामाजिक और आर्थिक विकास है। उन्होंने माना कि सांसद विधायक के लिए शैक्षणिक योग्यता जरूरी नहीं है लेकिन कहा कि ये कानून उनके लिए भी नजीर हो सकता है। कोर्ट ने जब पूछा कि ये अभी ही क्यों लागू किया। इसे लागू करने से पहले सरकार को शिक्षा का स्तर तो जांच लेना चाहिए था। इस कानून से तो 50 फीसद लोग बाहर हो जाएंगे। रोहतगी ने कहा कि कभी तो शुरूआत करनी होगी। पीठ ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता की शर्त उन्हें ठीक नहीं लगती। कोर्ट ने हरियाणा से कहा कि एक सप्ताह के लिए चुनाव टाल दो तब तक सुनवाई पूरी हो जाएगी। लेकिन रोहतगी ने कहा कि एक सप्ताह नहीं फिर चार सप्ताह का समय चाहिए होगा। इसके बाद कोर्ट ने उनसे शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता वापस लेकर चुनाव कराने पर राय पूछी लेकिन राज्य की ओर से स्पष्ट निर्देश न होने के कारण रोहतगी ने समय मांगा। कोर्ट ने इस बावत निर्देश लेने के लिए समय देते हुए सुनवाई कल तक के लिए टाल दी।
चेल्मेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता व अन्य शर्ते लगाए जाने के मामले में सुनवाई के दौरान दिये। सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता व अन्य शर्ते लगाने वाले हरियाणा पंचायती राज संशोधन कानून को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने 17 सितंबर को संशोधित कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अब हरियाणा सरकार ने रोक हटाने की मांग की है जिस पर सुनवाई हो रही है। सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट के रोक आदेश के बाद अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है। पहले चरण के मतदान के लिए शुरूआती दो दिन नए कानून से नामांकन आए बाकी तीन दिन मिले जुले आवेदन आए। रोहतगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चुनाव लड़ना मौलिक अधिकार नहीं है। इसलिए याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकती। रोहतगी ने कहा कि नया कानून प्रगति की ओर ले जाने के लिए लाया गया है। इस मसले पर हाईकोर्ट में दो याचिकाएं लंबित हैं। हाईकोर्ट ने रोक नहीं लगाई थी बल्कि कहा था कि चुनाव के नतीजे कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेंगे। इन दलीलों पर कोर्ट ने सवाल किया कि जब सांसद और विधायक के लिए शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं है तो फिर सरपंच के लिए क्यों। रोहतगी ने कहा कि पंचायत का अधिकार क्षेत्र सामाजिक और आर्थिक विकास है। उन्होंने माना कि सांसद विधायक के लिए शैक्षणिक योग्यता जरूरी नहीं है लेकिन कहा कि ये कानून उनके लिए भी नजीर हो सकता है। कोर्ट ने जब पूछा कि ये अभी ही क्यों लागू किया। इसे लागू करने से पहले सरकार को शिक्षा का स्तर तो जांच लेना चाहिए था। इस कानून से तो 50 फीसद लोग बाहर हो जाएंगे। रोहतगी ने कहा कि कभी तो शुरूआत करनी होगी। पीठ ने कहा कि शैक्षणिक योग्यता की शर्त उन्हें ठीक नहीं लगती। कोर्ट ने हरियाणा से कहा कि एक सप्ताह के लिए चुनाव टाल दो तब तक सुनवाई पूरी हो जाएगी। लेकिन रोहतगी ने कहा कि एक सप्ताह नहीं फिर चार सप्ताह का समय चाहिए होगा। इसके बाद कोर्ट ने उनसे शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता वापस लेकर चुनाव कराने पर राय पूछी लेकिन राज्य की ओर से स्पष्ट निर्देश न होने के कारण रोहतगी ने समय मांगा। कोर्ट ने इस बावत निर्देश लेने के लिए समय देते हुए सुनवाई कल तक के लिए टाल दी।
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साभार: जागरण समाचार
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