पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फर्जी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट (एसएलसी) के
आधार पर प्रवेश पाने 3125 छात्रों को राहत देते हुए आदेश दिया कि इन
बच्चों की पढ़ाई में किसी तरह की बाधा नहीं आनी चाहिये। इनकी पढ़ाई
जारी रहे। जस्टिस अजय तिवारी पर आधारित बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि
अभी बच्चों को चाहे तो उनकी मार्कशीट वापस न दी जाए लेकिन उनकी पढ़ाई पर
किसी तरह की रोक नही लगनी चाहिये। हरियाणा
स्कूल शिक्षा बोर्ड ने इस मामले
में अपना जवाब दायर करने के लिए कुछ समय देने की मांग की, जिस पर बेंच ने
सुनवाई 13 अगस्त तक स्थगित करते हुए बोर्ड के छात्रों पर एफआइआर दर्ज कराने
के आदेश पर रोक लगा दी। मामले में हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा
हजारों छात्रों के दसवीं के प्रमाणपत्र रद करने व उन छात्रों के खिलाफ
एफआइआर दर्ज कराने के शिक्षा बोर्ड के आदेश के खिलाफ झज्जर के आठ स्कूलों
ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे रद करने की मांग की हैं। याचिका में
आरोप है कि बोर्ड का यह आदेश छात्रों के भविष्य को अंधकारमय कर देगा।
याचिका के अनुसार वर्ष 2013 -14 सत्र के दौरान उनके स्कूलों में कई छात्रों
ने दसवीं कक्षा में दाखिला लिया था। दाखिले के लिए उन्होंने स्कूल लीविंग
सर्टिफिकेट और ट्रांसफर सर्टिफिकेट भी दिया था जिस पर बाद में शिक्षा बोर्ड
ने आपत्ति जताते हुए प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया था। इसके बाद इन स्कूलों
ने छात्रों से अतिरिक्त फीस वसूल कर इन्हे ओपन स्कूल के तहत परीक्षा देने
को कहा था। ओपन स्कूल से दसवीं करने के बाद अब यह छात्र ग्याहरवीं और
बाहरवीं कक्षा में हैं। अब बोर्ड ने 15 मई को स्कूलों को नोटिस भेज कर न
केवल इन छात्रों के दसवीं के नतीजों को रद कर दिया है बल्कि उनके खिलाफ
एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया है।
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साभार: जागरण समाचार
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