Tuesday, June 23, 2015

जाति या सरनेम से बुलाना भी रैगिंग की श्रेणी में

देशभर के विश्वविद्यालय एवं कॉलेजों में अब विद्यार्थी एक दूजे के राज्य एवं उनके सरनेम और धर्म एवं जाति को आड़े रखकर मजाक नहीं कर सकेंगे, क्योंकि यह एक तरह से रैगिंग होगी और इसकी शिकायत पर ऐसे विद्यार्थी के खिलाफ रैगिंग अधिनियम के तहत कार्रवाई भी होगी। दरअसल, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा उक्त प्रावधान को एंटी रैगिंग रेगुलेशन में जोड़ा गया है। कॉलेजों और यूनिवर्सिटी में रैगिंग रोकने के लिए
ही यूजीसी द्वारा यह कदम उठाया गया है। कहीं न कहीं इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विद्यार्थियों को बाहर पढ़ने में आने वाली दिक्कतें नहीं आएंगी और वे चैन से कहीं भी बाहरी राज्यों के विश्वविद्यालयों में पढ़ सकेंगे। इतना ही नहीं कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में इन मुद्दों को लेकर यदि कोई भी जूनियर एवं सीनियर किसी के साथ रैगिंग करता है और उसकी शिकायत के बाद प्राचार्य एवं एचओडी द्वारा कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो यूजीसी द्वारा उन पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। बता दें कि अक्सर यूपी, बिहार एवं पाकिस्तान से आकर इंडिया में बसे हुए विद्यार्थियों को पढ़ने के दौरान अपमानजनक सरनेम, जाति एवं उनके राज्यों के नाम से पुकारा जाता है मजाक उड़ाया जाता है। ऐसे में विद्यार्थी तनाव में आ जाते हैं और आत्महत्या करने जैसा कदम भी उठा लेते हैं। 

ट्रांसजेंडर का मजाक उड़ाना भी होगा रैगिंग: पत्र के अनुसार नए प्रावधान में ट्रांसजेंडर यानी किन्नर विद्यार्थी का कॉलेज एवं विश्वविद्यालय में मजाक उड़ाना एक तरह से रैगिंग है। यदि ऐसे विद्यार्थी उनके सीनियर एवं जूनियर के खिलाफ शिकायत करते हैं तो उनके खिलाफ रैगिंग अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी। वहीं यदि सेंट्रल विश्वविद्यालय में किसी भी तरह की रैगिंग होती है तो कड़ी कार्रवाई होगी।
भेज दिया है पत्र: यूजीसी के सचिव डॉ. जसपाल एस संधू का कहना है कि एंटी रैगिंग रेगुलेशन में नए प्रावधानों को जोड़ने संबंधी पत्र कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों को भेजा जा चुका है। पत्र में यह निर्देश दिए गए हैं कि यदि शिकायत के बाद भी प्राचार्य व एचओडी इसे रोकने की दिशा में कदम नहीं उठाते हैं तो उन्हें भी दोषी माना जाएगा और प्रावधान के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
साभार: जागरण समाचार 
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