पिछले कई दिनों से दांव पर लगा अपना भविष्य बचाने
के लिए संघर्ष कर रही नर्सिंग छात्राओं को दो तीन दिन में राहत मिल सकती
है। नए सिरे से दोबारा परीक्षा देने की जिद पर अड़ी सरकार का रुख अब कुछ
नरम पड़ गया है। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि आठ हजार नर्सिंग
छात्राओं के मसले का हल दो तीन दिन में
निकाल दिया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री ने आला अफसरों वाली एक विशेष कमेटी का गठन कर दिया है।
ये अफसर पूरे मामले में मंथन कर इस बात का तोड़ निकाल रहे हैं कि किस तरह
से प्रदेश में गैर कानूनी ढंग से खुले नर्सिंग स्कूल व कॉलेजों पर शिकंजा
भी कसा जाए और साथ ही इन शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ रही छात्राओं को राहत
भी दी जाए। सरकार प्रयास कर रही है कि छात्राओं की अधर में
लटकी पढ़ाई और परीक्षा भी डिस्टर्ब न हो। सूत्र बताते हैं कि सरकार प्रदेश
में अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग स्कूलों व कॉलेजों को तो राहत देने के मूड
में नहीं है।
सड़कों तक नर्सिंग स्टूडेंट्स का संघर्ष: पूरे प्रदेश में करीबन अस्सी नर्सिंग स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें न तो प्रदेश
सरकार की और न ही इंडियन नर्सिंग काउंसिल की मान्यता प्राप्त है। यहां अभी
आठ हजार के करीब छात्राएं जीएनएम व एएनएम कोर्स कर रही हैं। सरकार ने इन
संस्थानों को गैर कानूनी बताने के बाद इन शैक्षणिक संस्थानों को बंद करने
की प्रक्रिया शुरू कर दी है, क्योंकि परीक्षा किसी अधिकृत बोर्ड के जरिए
नहीं हुई। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने
कहा कि जो नर्सिंग स्कूल व कॉलेज गैर कानूनी हैं, छात्राएं इस बात को
समझें, वहां से मिली डिग्री भी अवैध होगी। मैं भी छात्राओं की बात को समझ
रहा हूं। इसलिए उनका भविष्य खराब न हो, इसके लिए कवायद शुरू करवा दी है।
अफसरों की विशेष कमेटी ने इस मसले पर मंथन शुरू कर छात्राओं को राहत देने
का काम भी शुरू कर दिया है। छात्राएं हौसला रखें, दो-तीन दिन में उन्हें
राहत मिलेगी।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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