सरकार की वादाखिलाफी से नाराज अतिथि अध्यापकों का
गुस्सा इस कदर फूट पड़ा है कि अब वे इच्छा मृत्यु की भी मांग करने लगे
हैं। आमरण अनशन पर बैठे दो विकलांग अतिथि अध्यापकों ने रविवार को अपने खून
से राष्ट्रपति व सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पत्र लिखा।
जिसमें उन्होंने इच्छा मृत्यु दिए जाने की मांग कर डाली। दोनों पांवों से
अपाहिज भिवानी जिले के विनोद शर्मा व अधरंग से पीड़ित महेंद्रगढ़ जिले के
योगेंद्र
सिंह पिछले छह दिन से अनशन पर हैं। वहीं उनकी हालत भी लगातार
बिगड़ती जा रही है।
ये लिखा है पत्र में: राष्ट्रपति
और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम अपने खून से लिखकर अलग-अलग
भेजे गए पत्र में विनोद शर्मा व योगेंद्र सिंह ने कहा है कि हम अपाहिज हैं।
हम गेस्ट टीचर थे, जिससे हमारे घर का गुजारा चलता था। लेकिन भाजपा सरकार
ने हमारा रोजगार छीन लिया। जिससे हमारे घर का चूल्हा नहीं जल रहा है। हम
श्रवण कुमार नहीं बन सकते तो अपने बूढे़ मां-बाप पर बोझ भी नहीं बन सकते।
अत: आपसे अनुुरोध है कि हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए। सरकार के कारण
हम पल-पल मर रहा हूं, इससे अच्छा है कि हम एक पल में जीवन को त्याग सकें।
वहीं महापड़ाव के दौरान आमरण अनशन पर बैठे महेंद्रगढ़ जिले के गांव
श्यामपुरा निवासी सुनील यादव की हालत रविवार को दोपहर बाद बिगड़ गई। जिसके
चलते उन्हें एंबुलेंस से सामान्य अस्पताल में ले जाया गया। वहीं जींद की
रेखा रानी की भी तबीयत बिगड़ गई, उन्हें भी भर्ती कराया गया।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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