आपने यदि कुछ पुराने नोट जमा कर रखे हैं तो इसे
बाजार में चलाने के लिए आपके पास सिर्फ एक सप्ताह का वक्त बचा है। इन
नोटों को बदल लीजिए या खर्च कर दीजिए क्योंकि आगामी एक जुलाई से इन नोटों
को बाजार में कोई नहीं स्वीकारेगा। रिजर्व बैंक के निर्देश से
वर्ष 2005 से पहले जारी हुए इन नोटों को चलन से बाहर किया जा
रहा है। यूं तो रिजर्व बैंक काफी दिनों से
वर्ष 2005 से पहले छपे नोटों को चलन से बाहर करने की तैयारी कर
रहा है
लेकिन बार-बार इसकी अंतिम तिथि बढ़ानी पड़ रही है। इस बार अंतिम तिथि 30
जून 2015 है। रिजर्व बैंक का कहना है कि 2005 से पहले छपे नोटों पर सुरक्षा
के वैसे इंतजाम नहीं हैं जैसे इंतजाम बाद के छपे नोटों पर हैं। इसलिए इन
नोटों को चलन से बाहर किया जा रहा है ताकि ऐसे नोटों के नाम पर जाली नोट को
खपाने में मदद नहीं मिले। हालांकि रिजर्व
बैंक की यह कवायद तो आधुनिक सुरक्षा फीचरों से लैस नोटों को चलन में लाने
के लिए है लेकिन इसके पीछे कुछ दूसरा उद्देश्य भी था। उस समय कहा जा रहा था
कि काले धन के रूप में काफी नोट खास कर के 1,000 व 500 के नोट को लोगों ने
दबा रखा है। जब पुराने नोट को चलन से बाहर किया जाएगा तो अपने आप काला धन
बाजार में आएगा।
पहचान करना बेहद आसान: यहां
सवाल यह उठता है कि वर्ष 2005 से पहले छपे नोटों की पहचान कैसे होगी?
रिजर्व बैंक का कहना है कि यह बेहद आसान है। आप कोई भी नोट निकाल कर देखिए,
उसके उल्टे साइड में नीचे वर्ष लिखा होता है। यदि नोट के नीचे 2012 लिखा
है तो मतलब है कि यह नोट 2012 में छपा है। 2005 से पहले छपे नोटों में वर्ष
नहीं छापे जाते थे।
एक जुलाई 2015 के बाद क्या होगा: रिजर्व
बैंक के मुताबिक एक जुलाई 2015 के बाद ये नोट भले ही बाजार में स्वीकार्य
नहीं होंगे लेकिन ये चलन से बाहर नहीं होंगे। इन्हें बदलने के लिए लोगों को
किसी बैंक की शाखा तक जाना होगा। वहां जितने भी नोट जमा किए जाएंगे, उसके
बदले नए नोट दे दिए जाएंगे।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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