प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की मुहिम को सिरे चढ़ाने के लिए हरियाणा सरकार अब
उन गर्भवती महिलाओं को भी नहीं बख्शेगी, जो गर्भपात करवाने के लिए लिंग
जांच करवाती हैं। ऐसी महिलाओं के कृत्य को सरकार अपराध की श्रेणी में
रखेगी। मुकदमा दर्ज करते समय ऐसी माताओं के खिलाफ पूरी मजबूती से केस भी
तैयार होगा। हरियाणा सरकार को यह ताकत अंबाला न्यायालय की ओर से
मंगलवार को
सुनाए गए एक ताजा फैसले से मिली है, जिसमें एक भ्रूण जांच कराने वाली मां
समेत चार लोगों को अदालत ने दो-दो साल की सजा सुनाई है। हरियाणा में यह
पहला मामला है, जब इस तरह की किसी महिला को सजा सुनाई गई है। सजा के
साथ-साथ दोषियों पर एक-एक हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया है। भ्रूण
जांच कराने में किसी मां को सजा मिलने का यह पहला मामला माना जा रहा है।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए सौंडा निवासी जसपाल सिंह,
अंबाला निवासी पंकज गुप्ता, पंजाब के बनूड़ निवासी मनजिंद्र कौर और बनूड़
के ही गगनदीप सिंह को यह सजा सुनाई है। इसके अलावा भिवानी में भी सरकार ने
एक ऐसा ही केस दर्ज करवाया है। इसमें स्वास्थ्य विभाग की एक एएनएम भी
शामिल थी। एएनएम एक दलाल के साथ किसी अन्य व्यक्ति की दुकान में जांच का
काम करती थी। इस मामले में अधिकारियों ने
तीनों ही लोगों को अदालत में तलब किया है। मसलन, ऐसे कृत्य में दूर-दूर तक
भी यदि किसी व्यक्ति की संलिप्तता पाई जाएगी तो उसके खिलाफ आपराधिक
कार्रवाई होगी।
इसलिए मिली महिला को सजा: रेड टीम के इंचार्ज सीएमओ डाक्टर विनोद गुप्ता ने बताया कि यह
महिला खुद एक चालक को लेकर बनूड़ से अंबाला सिटी लिंग जांच के लिए आई थी।
महिला का पति व अन्य कोई परिजन उसके साथ नहीं था। सीएमओ के अनुसार रेड के
दौरान और पुलिस पूछताछ के दौरान भी महिला ने स्वीकार किया था कि वह बिना
दबाव के खुद लिंग जांच के लिए यहां अंबाला सिटी आई थी। इसी को आधार बनाते
हुए अंबाला की अदालत ने अन्य तीन आरोपियों के साथ-साथ लिंग जांच के लिए आई
विवाहिता को भी दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है।
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साभार: अमर उजाला समाचार
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