Tuesday, June 6, 2017

कश्मीर में तीसरे का दखल मंजूर नहीं, दोनों पक्षों में बातचीत से ही सुलझ सकता है मुद्दा - सुषमा स्वराज

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान के साथ रिश्तों में ऊहापोह और असमंजस के आराेपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और कश्मीर को लेकर सरकार की नीति बिल्कुल साफ-साफ
है। इसे बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है, लेकिन बातचीत और आंतकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले जाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भले ही दावा करे, लेकिन सच्चाई यह है कि अगर भारत भी चाहे तो कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में नहीं ले जा सकता। क्योंकि शिमला समझौते और लाहौर घोषणापत्र में साफ तौर पर इस मसले को द्विपक्षीय ढंग से सुलझाने की बात कही गई है। कश्मीर मुद्दे में कोई तीसरा पक्ष मंजूर नहीं है। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सीमापार आतंकवाद का मुद्दा उठाया है और वैश्विक नेताओं से साफ तौर पर कहा है कि आतंकवाद को लेकर अपने मामलों को भारत खुद निपटा लेगा। 
कजाखस्तान में मोदी-शरीफ मुलाकात की कोई योजना नहीं: सुषमा स्वराज ने साफ किया है कि कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, 'ऐसी कोई योजना नहीं है, ना उनकी तरफ से और ना ही हमारी तरफ से।' 
सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत के पाकिस्तान के साथ रिश्ते तीन बातों पर आधारित हैं। पहला - हम सभी मसलों को बातचीत के जरिए हल करना चाहते हैं। दूसरा- इसमें किसी तरह की मध्यस्थता स्वीकार नहीं है और तीसरा- आतंकवाद और बातचीत एकसाथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि पहले दो साल पाक से रिश्ते सुधारने की कोशिश होती रही। नवाज शरीफ के बुलावे पर प्रधानमंत्री मोदी 25 दिसंबर 2015 को पाकिस्तान भी गए, लेकिन उसके एक हफ्ते बाद ही पठानकोट में हमला हो गया। जिसकी जांच में कुछ नहीं हो रहा है। 
पासपोर्ट के लिए आवेदनों की संख्या 50 फीसदी बढ़ी: सुषमास्वराज ने बताया कि पासपोर्ट के नियमों को सरल बनाने के बाद आवेदन करने वालों की संख्या 50 फीसदी तक बढ़ी है। उन्होंने कहा कि विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है। तीन साल में विदेशों में फंसे करीब 80 हजार लोगों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया है। इसके अलावा उन्होंने यह भी दावा किया कि तीन साल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश(एफडीआई) में 37.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
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साभार: भास्कर समाचार 
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