Thursday, April 13, 2017

जाधव को तुरंत फांसी नहीं, अभी तीन जगह और कर सकते हैं अपील

भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान तुरंत सजा नहीं देगा। अभी वह तीन मंचों पर इस सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने मंगलवार को अपने देश की संसद में यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ अपील के लिए जाधव के पास 60 दिन हैं। इसके बाद भी वह सेना प्रमुख और राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर कर सकते हैं। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं। हालांकि, जानकारों की मानें तो पाकिस्तान आर्मी एक्ट की धारा 131 के तहत
सैन्य अदालत के फैसले के खिलाफ 40 दिन में ही अपील करनी होती है। 
पाक मीडिया के अनुसार अासिफ ने संसद को बताया, 'भारतीय खुफिया एजेंसी राॅ के लिए काम करने वाले नौसेना अधिकारी को पिछले वर्ष मार्च में पकड़ा गया था। कोर्ट में साढ़े तीन माह तक ट्रायल के बाद यह फैसला आया।' उन्होंने कहा कि जाधव पर भारत के लिए जासूसी, पाकिस्तान की अखंडता के खिलाफ काम करने, देश में आतंकवाद प्रायोजित करने और देश को अस्थिर करने के प्रयास जैसे आरोप सिद्ध हुए हैं। 
सैन्य अदालत से सजा पाए तालिबानी आतंकियों को दी फांसी: पाकिस्तान ने दो तालिबानी आतंकियों को फांसी पर लटका दिया। विवादित सैन्य अदालत की ओर से सुनाई गई फांसी की सजा पर मंगलवार को अमल किया गया। पेशावर आतंकी हमले के बाद स्थापित सैन्य अदालतों की मान्यता जनवरी में खत्म हो गई थी। लेकिन पिछले महीने ही इन्हें दो साल की एक्सटेंशन मिली है। 
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जाधव को बचाने के लिए बेहतर से बेहतर वकील करने की बात कही है। लेकिन भारतीय विशेषज्ञ मान रहे हैं कि पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना के खिलाफ शायद ही कोई वकील जाधव का केस पकड़े। हालांकि, पाकिस्तान में भी कुछ ऐसे वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो जाधव की जान बचाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं: 
  1. अस्मा जहांगीर: प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की प्रमुख रह चुकी हैं। 
  2. अंसार बर्नी: प्रसिद्ध वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। मंत्री भी रह चुके हैं। कैदियों के अधिकारों के लिए काम करते रहे हैं। मृत्युदंड के खिलाफ भी मुखर हैं। 
  3. जिब्रान नासिर: युवा वकील हैं। पेशावर हमले के खिलाफ मौलवियों और धार्मिक आतंकवादियों के खिलाफ केस ठोक कर चर्चा में आए थे। 
  4. एत्जाज अहसान: सुप्रीमकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किए गए तत्कालीन जज इफ्तिखार चाैधरी के समर्थन में वकीलों के आंदोलन के अगुवा रहे थे। 

पाकिस्तान की कहानी पर हमें भरोसा नहीं होता: जाधव के मामले में कई गंभीर अनियमितताएं हैं। उन्हें वकील नहीं दिया। कोर्ट मार्शल को भी रहस्य बनाकर रखा। हैरानी है कि जाधव के मामले में तो पाक ने इतनी तेजी दिखाई, लेकिन मुंबई हमले के आरोपियों पर केस आगे ही नहीं बढ़ रहा। - अलयसा ऐर्ज, स्टेट डिपार्टमेंट की पूर्व अधिकारी 
सजा का आधार बताए गए सबूत काफी कमजोर हैं। पाकिस्तान की कहानी पर भरोसा नहीं होता। आतंकवाद के आधार पर भारत पाकिस्तान को कूटनीतिक तरीके से अलग-थलग करने की कोशिशों में लगा है। यह सजा इसी का पलटवार है। -भारत गोपालस्वामी, अटलांटिक काउंसिल के दक्षिणी एशिया सेंटर में निदेशक 
पाक की कहानी रहस्य और अनिश्चितता से भरी है। विश्व मंच पर खुद को अलग-थलग करने की भारत की कोशिशों के खिलाफ पाकिस्तान ने यह कदम उठाया है। पाक चाहेगा कि जाधव का इस्तेमाल कर वह भारत से अपनी कुछ अहम बातें मनवा ले। -माइकल कुगेलमैन, वुड्रो विल्सन सेंटर में दक्षिणी एशिया के डिप्टी डायरेक्टर 
पाक एनएसए बोले, भारत-पाक हमेशा दुश्मन नहीं रह सकते: पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नासीर जंजुआ ने कहा कि भारत और पाकिस्तान मेशा दुश्मन बनकर नहीं रह सकते। दोनों को आपसी मुद्दे सुलझाने ही होंगे। कनाडाई उच्चायुक्त पैरी कैल्डरवुड से बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही। 
जेठमलानी की राय- पहले फैसले की कॉपी मांगे भारत: वरिष्ठवकील राम जेठमलानी के अनुसार भारत काे पहले जाधव के खिलाफ सैन्य अदालत के फैसले की कॉपी मांगनी चाहिए। इससे ही साफ हो पाएगा कि आखिर उन्हें किस आधार पर सजा सुनाई गई है। तभी हमें पता चल सकेगा कि यह सजा सही है या गलत। अगर सजा का कोई ठोस आधार नहीं मिला तो भारत का केस और मजबूत होगा।
Post published at www.nareshjangra.blogspot.com
साभार: भास्कर समाचार 
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