एन. रघुरामन (मैनेजमेंटगुरु)
आज सुबह प्राप्त कई पत्रों में से एक पत्र 12वीं कक्षा के एक छात्र का था। उसने एक साल का गैप (रीड ड्राप) लेने के बारे में मेरी सलाह मांगी थी। वह बाद में तय करना चाहता था कि उसे कौन-सा विषय लेना है। कुछ लोग
पढ़ाई से लंबा गैप लेते हैं और कुछ एक साल का गैप लेते हैं, ताकि तय किया जा सके कि जीवन और कॅरिअर में करना क्या है। जो लोग लंबे गैप लेते हैं, वे असल में पहले की गई गलतियों को सुधारते हैं। अपने बारे में फैसला करने के लिए पढ़िए ये उदाहरण। यह पोस्ट आप नरेशजाँगङा डॉट ब्लागस्पाट डॉट कॉम के सौजन्य से पढ़ रहे हैं।
स्टूडेंट के जीवन में गैप: इग्नासिओअरबेक्स 12 साल की स्कूल की पढ़ाई के बाद तुरंत कॉलेज नहीं जाना चाहते थे, क्योंकि वे खुद को एक अगंभीर व्यक्ति मानते थे, जिसके पास कोई फोकस नहीं था। उन्होंने चार महीने का समय चीन में कूंग-फू सीखने को दिया। इसके बाद वे दो महीने के लिए वियतनाम और थाईलैंड चले गए, जहां उन्होंने मूय-थाई सीखा। यह किकबॉक्सिंग का थाई वर्जन है। लेकिन यहां साधुओं के साथ रहते हुए उन्होंने सीखा कि वे कितने विनम्र और अपने काम के प्रति कितने फोकस्ड हैं। अब उन्होंने अपना अकादमिक कॅरिअर अधिक फोकस्ड तरीके से शुरू किया है, क्योंकि वे समझ गए हैं कि विश्व में ऐसी कई शक्तियां हैं, जो इंसान के दिमाग की समझ से दूर हैं।
वर्किंग लाइफ में गैप: जेकोबोपैरागेस 31 साल के थे, जब उन्हें पता चला कि उन्हें एंक्यलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस है। यह गंभीर गठिया रोग है, जो रीढ़ की हड्डी और बड़े जोड़ों को प्रभावित करता है। वे नहीं जानते थे कि इसे ठीक होने में कितना समय लगेगा, इसलिए नौकरी छोड़ी और दुनिया घूमने का अपना सपना पूरा करने निकल पड़े। वे हर महाद्वीप के कुछ देशों में गए। इस ट्रिप ने इंसान के प्रति उनका नज़रिया बदल दिया। जैसा कि उन्होंने दुनिया की बुराई और भ्रष्टाचार के बारे में सुना था उससे ज्यादा अच्छाई उन्होंने देखी। वे 15 महीने बाद लौटे और मोटिवेशनल स्पीकर, ट्रेनर और टीचर का जॉब हासिल किया।
मेरिड लाइफ में गैप: शादीजैसा बोझ कोई 16 साल की उम्र में नहीं उठा सकता। आरती मुंडे भी कोई अपवाद नहीं थीं। एसएसएलसी में अंग्रेजी और गणित में फेल होने के बाद 1994 में उनकी शादी कर दी गई और वैवाहिक जिम्मेदारियों ने शिक्षा को पीछे धकेल दिया। वह अपने परिवार से कहना चाहती थी कि मुझे एक मौका और दे दीजिए, लेकिन कह नहीं पाई, क्योंकि वो फेल हो गई थी। आज आरती 40 साल की हो गई हैं और तीन संतानों की मां हैं। वे बेंगलुरू से 567 किलोमीटर दूर चिकोड़ी नगर पालिका की चेयरपर्सन हैं। साथ ही अपना अधूरा काम करने के लिए स्कूल जाती हैं। अपनी छोटी बेटी निवेदिता की मदद से आरती सभी विषयों को पास करने की फिर से तैयारी कर रही है। निवेदिता भी स्टेटबोर्ड की परीक्षा दे रही है। 12 अप्रैल से शुरू हुई परीक्षाओं में आरती 27 साल बाद पहला पेपर दे चुकी हैं। उन्होंने आखिरी परीक्षा 1993 में दी थी, जिसमें फेल हो गई थी।
पश्चिमी देशों में गैप ईयर का कॉन्सेप्ट है, यात्राएं करना, आत्म अवलोकन करना, जीवन की नई क्षमताएं सीखना और दिमाग को विस्तार देना, जबकि इसे हमारे परंपरागत भारतीय पेरेंट्स इस तरह नहीं देखते। छात्र इसके बारे में बात करते हैं और पेरेंट्स पर इसकी इजाजत के लिए दबाव बनाते हैं। याद रखना चाहिए कि हमारे देश में गैप-ईयर को 'कुछ देर के लिए बाहर होना' या 'वह अभी तय कर रहा है कि उसे क्या करना है', के रूप में रिडिफाइन करने की जरूरत है। ऐसा विकसित देशों में हुआ है। हम तो अभी भी इसे 'ड्रॉप्ड आउट फॉर एन ईयर' कहते हैं। इन दोनों परिभाषाओं में टोन का फर्क है। इसलिए गेप-ईयर का इस्तेमाल प्रोडक्टिव होना चाहिए।
फंडा यह है कि गैपईयर लेना अपराध नहीं है, अगर यह जीवन को ऐसे हाईवे पर ले जाए जहां से वह आनंददायक सफर हो जाए।
फंडा यह है कि गैपईयर लेना अपराध नहीं है, अगर यह जीवन को ऐसे हाईवे पर ले जाए जहां से वह आनंददायक सफर हो जाए।
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साभार: भास्कर समाचार
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